बच्चों को संस्कारी और समझदार बनाना हर माता-पिता का सपना होता है। इसके लिए Moral Stories बेहतरीन माध्यम साबित होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ये Bedtime Moral Stories बच्चों को न सिर्फ रोमांचित करती हैं, बल्कि उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती हैं!
आज हम आपको ऐसी ही Top 10 Moral Stories In Hindi के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनमें छिपे हैं अनमोल सबक़। ये कहानियां आपके बच्चों का मनोरंजन तो करेंगी ही, साथ ही उन्हें ईमानदारी, मेहनत, दया और सच्चाई का महत्व भी समझाएंगी।
Top 10 Moral Stories In Hindi | Bedtime Moral Stories
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तो देर किस बात की? आइए जानते हैं 10 Best Hindi Moral Stories, जो आपके बच्चों के लिए किसी अनमोल तोहफे से कम नहीं!
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1. खोया हुआ खजाना और ईमानदार नेवला (The Lost Treasure and the Honest Mongoose’s Kahani)
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रवि एक चालाक नेवला था। वह जंगल में चुपके से घूमता रहता और कभी-कभी दूसरे जानवरों का खाना चुरा लेता। एक दिन, जंगल में खुदाई हो रही थी। पुराने मंदिर को नया करने के लिए कुछ मजदूर जमीन खोद रहे थे।
खुदाई करते समय उनकी कुदाल किसी सख्त चीज से टकराई। उन्होंने खुदाई जारी रखी और उन्हें एक लोहे का एक बॉक्स मिला। मजदूरों को लगा कि यह खजाना है। वे उसे जंगल से बाहर ले जाने की योजना बना रहे थे।
यह सब छिपकर देख रहा था रवि। उसे लगा कि यह उसके लिए एक सुनहरा मौका है। रात होते ही, रवि मजदूरों के पास पहुंचा।
“मैंने देखा है तुम क्या कर रहे हो,” रवि ने फुसफुसाते हुए कहा। “मुझे पता है तुम इस खजाने को चुराना चाहते हो।”
मजदूर चौंक गए। रवि ने उन्हें बताया कि वह जंगल का रक्षक है और उन्हें खजाना चुराने नहीं देगा। मजदूरों को लगा कि रवि उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर देगा।
तभी, रवि ने एक शर्त रखी। “अगर तुम खजाना जंगल के मुखिया, शेर राजा को सौंप दोगे, तो मैं तुम्हें कुछ इनाम दूंगा।”
मजदूरों को लगा कि रवि से सौदा ठीक है। उन्होंने खजाना रवि को दे दिया। रवि खुशी से नाचता हुआ खजाना लेकर शेर राजा के पास पहुंचा।
शेर राजा ने रवि की ईमानदारी देखकर खुश हुए। उन्होंने खजाना मजदूरों को वापस लौटा दिया और जंगल के विकास के लिए इस्तेमाल करने का आदेश दिया।
पूरे जंगल में रवि की ईमानदारी की चर्चा होने लगी। अब रवि चोरी नहीं करता था। जंगल के जानवरों ने उसे सम्मान दिया और रवि जंगल का ईमानदार रक्षक बन गया।
सीख (Shikh): ईमानदारी सबसे बड़ा धन है। दूसरों का हक छीनना गलत है। ईमानदारी से किया गया काम हमेशा सम्मान दिलाता है।
2. चिमू का डरावना जंगल (A Horror Hindi Story Of A Scary Forest Of Chimu)
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छोटे से गांव के बाहर घना जंगल था, जहां पेड़ इतने ऊंचे थे कि गोपाल की किरणें भी जमीन तक नहीं पहुंच पाती थीं। इस जंगल में रहने वाले जानवरों में सबसे चंचल गिलहरी चिमु (Chimu) थी। एक शाम, चिमु अपने दोस्तों के साथ खेल रही थी, तभी उसे जंगल के गहरे हिस्से से अजीब सी आवाजें सुनाई दीं।
“वो क्या आवाज है?” चिमु ने पूछा। (Wo kya awaaz hai?)
“उस जंगल में मत जाओ चिमु,” चिड़िया चम्पा ( चिड़िया Chhaмpа) ने चेतावनी दी। “वहां भूत रहता है!” (Wahan bhoot rehta hai!)
चिमु हंसी। “भूत? दुनिया में कोई भूत नहीं होता।” (Bhoot? Duniya mein koi bhoot nahi hota.)
चिमु के दोस्त डर गए, लेकिन उसकी जिज्ञासा उससे जीत नहीं पा सकी। वह डरावनी आवाजों की तरफ लपकी। जंगल जितना गहरा होता गया, उतना ही अंधेरा और डरावना होता गया। पेड़ों की टहनियां उसके चेहरे को छू रहीं थीं और अजीब सी गंध हवा में तैर रही थी।
अचानक, एक जोर का गर्राने की आवाज सुनाई दी। चिमु घबरा गई। पेड़ के पीछे छिपकर उसने सामने देखा तो एक डरावनी आकृति खड़ी थी। उसकी आंखें लाल थीं और उसके दांत इतने नुकीले थे कि चिमु कांपने लगी।
“कौन हो तुम?” चिमु ने डरते हुए पूछा। (Kaun ho tum?)
“मैं जंगल का रक्षक हूं,” वह आकृति बोली। उसकी आवाज गहरी और डरावनी थी। (Main jungle ka rakshak hoon)
चिमु को लगा कि अब तो उसकी खैर नहीं है। लेकिन तभी वह आकृति हंसने लगी। उसकी हंसी भी उतनी ही डरावनी थी।
“डर गई ना?” वह आकृति चिढ़ाते हुए बोली। (Dar gayi na?)
चिमु ने हिम्मत जुटाकर कहा, “नहीं, मैं नहीं डरती।” (Nahin, main nahi darti.)
आकृति फिर हंसी और बोली, “अगर तू सचमुच नहीं डरती तो मेरे तीन सवालों का जवाब दे। अगर तू जवाब नहीं दे पाई, तो तुझे जंगल में ही रहना होगा।” (Agar tu sachmuch nahi darti to mere teen sawaalon ka jawab de. Agar tu jawab nahi de paayi, to tujhe jungle mein hi rehna hoga.)
चिमु ने सोचा कि वह डर नहीं सकती। उसने जवाब देने के लिए हामी भर दी।
पहला सवाल था, “जंगल में सबसे तेज कौन दौड़ता है?” (Jungle mein sabse tez kaun daudta hai?)
चिमु ने फटाफट जवाब दिया, “चीता!” (Cheetah!)
दूसरा सवाल था, “जंगल में सबसे तीखी नजर किसकी है?” (Jungle mein sabse teekhi najar kiski hai?)
चिमु ने बिना सोचे जवाब दिया, “बाज़ का!” (Baaz ka!)
आखिरी सवाल था, “जंगल में सबसे ज्यादा डर किसको लगता है?” (Jungle mein sabse zyada dar kisko lagta hai?)
चिमु अटक गई। उसे जवाब नहीं सूझ रहा था। वह सोचने लगी, “शेर, बाघ, सांप… सब डरते हैं।” (Sher, baagh, saanp… sab darte hain)
तभी उसे याद आया कि कैसे उसने अपने दोस्तों को डराने के लिए भूत की बात बनाई थी।
“मुझे पता है!” चिमु खुशी से चिल्लाई। (Mujhe pata hai!)
“जंगल में सबसे ज्यादा डर उसी को लगता है, जो दूसरों को डराता है!” (Jungle mein sabse zyada dar ussi ko lagta hai, jo doosron ko daraata hai!)
आकृति चौंक गई। उसने कभी नहीं सोचा था कि कोई बच्चा उसका असली मकसद पकड़ लेगा। गुस्से में उसने दहाड़ा, लेकिन चिमु पहले ही पेड़ पर चढ़ चुकी थी।
नीचे से आकृति चिमु को डराने की कोशिश कर रही थी, लेकिन चिमु अब बिल्कुल नहीं डर रही थी। उसे पता चल गया था कि असली राक्षस वही था जो दूसरों को डराकर जंगल पर अपना कब्जा जमाना चाहता था।
सुबह होते ही चिमु अपने दोस्तों के पास दौड़ी। उसने उन्हें जंगल के रक्षक के बारे में सब कुछ बताया। जानवर जंगल के रक्षक को पकड़ने के लिए एकजुट हुए। शेर ने अपनी दहाड़ से उसे डराया, हाथी ने अपने पैरों से जमीन थर्रा दी और चिड़ियों ने मिलकर इतना शोर मचाया कि जंगल का रक्षक परेशान होकर भाग गया।
इस तरह चिमू की हिम्मत और बुद्धि से जंगल एक बार फिर शांत हो गया। सब जानवरों ने मिलकर जंगल की रक्षा करने का प्रण लिया। चिमु को जंगल की सबसे बहादुर गिलहरी माना गया।
सीख (Shikh): डर की बातें सुनकर कभी घबराना नहीं चाहिए। हिम्मत और चालाकी से किसी भी मुसीबत का सामना किया जा सकता है। असली राक्षस वो होते हैं जो दूसरों को डराकर अपना फायदा उठाते हैं।
3. गोपाल दादा और जादुई बीज (A Hindi Kahani Of Gopal Dada and the Magic Seeds)
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गोपाल दादा एक मेहनती किसान थे। सुबह सूरज निकलने से पहले ही वह खेतों में काम करने निकल जाते। सारा दिन खेतों की मेहनत करते, शाम को थककर लौटते। उनके बेटे, राजू को यह सब बिलकुल पसंद नहीं था।
“गोपाल दादा, आप इतनी मेहनत क्यों करते हैं?” राजू अक्सर पूछता। “आराम से रहते ना।”
“बेटा, मेहनत के बिना कुछ नहीं मिलता,” गोपाल दादा प्यार से समझाते। “खेतों की देखभाल करनी है, तभी फसल अच्छी होगी और खाने को अनाज मिलेगा।”
राजू मानता नहीं था। उसे लगता था कि मेहनत करने से अच्छा है कि कोई जादुई चीज हो, जिससे अनाज बिना मेहनत मिल जाए।
एक दिन, गोपाल दादा दूर के गांव से कुछ खास बीज लेकर आए। बीज चमकदार थे, इंद्रधनुषी रंगों से नहाए हुए।
“ये क्या हैं गोपाल दादा?” राजू ने उत्साह से पूछा।
“ये जादुई बीज हैं,” गोपाल दादा ने आंख मारकर कहा। “इनको बोओगे तो बिना मेहनत के पौधे उगेंगे और फल लगेंगे।”
राजू खुशी से नाचने लगा। उसने जल्दी से बीजों को खेत में बो दिया। अगले कुछ दिनों में, खेत में वाकई में अजीब पौधे उग आए। वे बहुत तेजी से बढ़ रहे थे, पर उनमें ना तो फूल लगे ना ही फल।
कुछ हफ्तों बाद, पौधे मुरझाने लगे। उनकी पत्तियां पीली पड़ गईं और वे सूखने लगे। राजू परेशान हो गया।
“गोपाल दादा, जादुई बीज खराब हो गए!” राजू ने रोते हुए कहा।
गोपाल दादा ने राजू को समझाया, “बेटा, जादू से कुछ नहीं होता। मेहनत करके मिट्टी तैयार करनी पड़ती है, पौधों को पानी देना पड़ता है, तभी अच्छी फसल होती है।”
राजू को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने गोपाल दादा की मदद से खेतों की देखभाल शुरू कर दी। धीरे-धीरे उनके खेतों में फिर से हरी-भरी फसल लहलगाने लगी।
सीख (Shikh): मेहनत के बिना कुछ नहीं मिलता। हर चीज को पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। तभी सफलता मिलती है।
4. मेहनती किसान और बुद्धिमान राजा (Hindi Moral Story Of A Hardworking Farmer And Wise King)
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राजा अपने महल में ऐशो-आराम की जिंदगी जीते थे। उन्हें सोने की थाली में लजीज पकवान परोसे जाते, रेशमी कपड़े पहनाए जाते और हर काम के लिए उनके सेवक मौजूद रहते। एक दिन, राजा को अचानक यह जानने की इच्छा हुई कि उनका इतना स्वादिष्ट भोजन कहाँ से आता है।
उन्होंने अपने सलाहकार, विद्वान वजीर को बुलाया। “वजीर, ये लजीज रोटी और सब्जियाँ कहाँ से आती हैं?” राजा ने पूछा।
“ये सब खेतों से आती हैं, महाराज,” वजीर ने जवाब दिया। “किसान कड़ी मेहनत करके अनाज उगाते हैं, तभी हमारे पास खाने को मिलता है।”
राजा को यह जानकर हैरानी हुई। उन्होंने तय किया कि वह खुद जाकर किसानों को देखेंगे। अगले दिन, राजा, साधारण कपड़े पहनकर, महल से निकल पड़े। खेतों तक पहुंचने पर, उन्हें एक किसान मोहन, हल चलाते हुए दिखाई दिया।
“क्या हाल है! मोहन?” राजा ने मुस्कुराते हुए पूछा।
मोहन चौंक गया, लेकिन जल्द ही उन्होंने राजा को पहचान लिया। “आप तो राजा हैं! आपको यहाँ क्योँ आना पड़ा महाराज?”
राजा ने बताया कि वह जानना चाहते हैं कि अनाज कैसे उगाया जाता है। मोहन उन्हें ख़ुशी से खेत दिखाने लगे। उन्होंने बताया कि कैसे खेत तैयार किया जाता है, बीज बोए जाते हैं, फिर उन्हें पानी दिया जाता है और उनकी देखभाल की जाती है।
पूरे दिन, राजा ने मोहन के साथ खेतों में काम किया। उन्होंने हल चलाया, बीज बोए और खेतों को सींचा। शाम को, जब राजा थककर महल लौटे, तो उन्हें भूख बहुत लगी थी।
उन्होंने रात के खाने में साधारण रोटी और दाल खाई। मगर, उन्हें यह भोजन अब तक खाए गए किसी भी शाही पकवान से ज़्यादा स्वादिष्ट लगा।
अगले दिन, राजा ने दरबार लगाया। उन्होंने सभी को बताया कि किसानों की मेहनत के बिना हम खा नहीं सकते। उन्होंने आदेश दिया कि किसानों को सम्मान दिया जाए और उनकी मदद की जाए।
उस दिन से, राजा ने किसानों को अनाज उगाने के लिए बेहतर बीज और औजार दिलवाने शुरू किए। उनकी राज्य में अन्न का भरपूर भंडार हो गया।
सीख (Shikh): मेहनत का फल मीठा होता है। अन्नदाता किसान हमारे असली राजा हैं। उनका सम्मान करना और उनकी मदद करना हमारा फर्ज है।
5. चुन्नू और खोया हुआ जंगल (Bedtime Story of Chunnu and the Lost Forest)
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चुन्नू एक जिज्ञासु लड़का था। उसे किताबें पढ़ना बहुत पसंद था, खासकर जंगलों और उनके रहस्यों के बारे में। एक बार, उसे एक पुरानी किताब मिली, जिसमें एक खोए हुए जंगल का ज़िक्र था। उस जंगल में पेड़ बातें करते थे और जानवर इंसानों की तरह रहते थे।
किताब पढ़कर चुन्नू का रोमांच चरम पर पहुंच गया। उसने उस खोए हुए जंगल को ढूंढने का फैसला किया। उसके दादाजी, जो एक बुद्धिमान बुजुर्ग थे, ने चुन्नू को एक खास कम्पास दिया।
“यह कम्पास तुम्हें सही रास्ते पर ले जाएगा,” दादाजी ने कहा। “पर याद रखना, जंगल जादुई है। वहां जाने के लिए तुम्हें एक खास मंत्र का उच्चारण करना होगा।”
चुन्नू ने मंत्र को याद कर लिया। अगले दिन, वह जंगल की ओर निकल पड़ा। कम्पास की सहायता से वह घने जंगल में चलता रहा। रास्ते में उसे कई मुश्किलें आईं, पर उसने हिम्मत नहीं हारी।
आखिरकार, एक हफ्ते के बाद, चुन्नू एक खूबसूरत घाटी में पहुंच गया। वहां पेड़ आपस में फुसफुसा रहे थे और जानवर मिल-जुलकर रह रहे थे। बंदर हार पहने पेड़ों पर झूल रहे थे, शेर और हिरण एक साथ चर रहे थे।
चुन्नू खुशी से नाचने लगा। उसने खोए हुए जंगल को ढूंढ लिया था! उसने जंगल के जानवरों से दोस्ती की। उन्होंने चुन्नू को जंगल के रहस्य बताए, पेड़ों की भाषा सिखाई और जादुई पौधों के बारे में बताया।
कुछ दिन जंगल में बिताने के बाद, चुन्नू को घर वापस लौटने का मन हुआ। उसने जानवरों को अलविदा कहा और मंत्र का उच्चारण करते हुए जंगल से गायब हो गया।
घर लौटकर, चुन्नू ने अपने अनुभवों को किताब में लिखा। अब वह एक प्रसिद्ध लेखक है, जो खोए हुए जंगल के रहस्यों के बारे में किताबें लिखता है।
सीख (Shikh): जिज्ञासु रहना और सपनों को पूरा करने के लिए कोशिश करना जरूरी है। हिम्मत और मेहनत से हर मुश्किल पार की जा सकती है। दुनिया में कई रहस्य छिपे हैं, बस उन्हें ढूंढने की जरूरत है।
6. टाइम मशीन और परीक्षा (Moral Story Of Time Machine And Examination)
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विक्रम एक होनहार छात्र था, पर उसे समय की बिल्कुल कदर नहीं थी। वह देर से सोता, सुबह देर से उठता और स्कूल का होमवर्क भी आखिरी समय पर करता। परीक्षा आने पर भी उसकी आदत नहीं बदली। वह सोचता था, “एक रात में पूरा पढ़ लूंगा।”
परीक्षा से एक रात पहले, विक्रम को बहुत घबराहट हुई। पूरा सिलेबस पड़ा था, पर उसने कुछ भी याद नहीं किया था। अचानक, उसके कमरे में एक चमकदार रोशनी दिखाई दी। रोशनी कम होने पर उसने देखा कि उसके सामने एक अजीब सी मशीन खड़ी है।
मशीन से एक रोबोट निकला। “नमस्ते विक्रम,” रोबोट बोला। “मैं टाइम मशीन हूँ।”
विक्रम को यकीन नहीं हुआ। “टाइम मशीन? सचमुच?”
“हां,” रोबोट ने कहा। “मैं तुम्हें अतीत में ले जा सकता हूँ। परीक्षा की तैयारी के लिए ज़्यादा समय चाहिए ना?”
विक्रम खुशी से नाच उठा। उसने टाइम मशीन में बैठकर परीक्षा से एक हफ्ता पहले जाने का फैसला किया। उस हफ्ते में, उसने जमकर पढ़ाई की।
एक हफ्ता बीत गया और टाइम मशीन ने विक्रम को वापस ला दिया। परीक्षा के लिए वह पूरी तरह तैयार था। उसने पेपर बहुत अच्छे से लिखा और उसे लगा कि वह अवश्य पास हो जाएगा।
पर नतीजे आए तो विक्रम फेल हो गया! वह हैरान रह गया। उसने रोबोट को बुलाया और पूछा, “आखिर हुआ क्या? मैंने तो बहुत अच्छा पेपर दिया था!”
रोबोट ने समझाया, “विक्रम, टाइम मशीन तुम्हें भूतकाल में तो ले गई, पर उसने तुम्हारी मेहनत का समय नहीं बढ़ाया। तुमने एक हफ्ता जल्दबाजी में पढ़ा, जो असल में पर्याप्त नहीं था।”
विक्रम को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने समझ लिया कि समय बर्बाद किए बिना नियमित रूप से पढ़ाई करना ज़रूरी है।
अगली बार, विक्रम ने टाइम मशीन का सहारा नहीं लिया। उसने हर रोज थोड़ा-थोड़ा पढ़ाई की। परीक्षा में उसने अच्छा पेपर दिया और इस बार वह पास हो गया।
सीख (Shikh): समय बेशकीमती है। परीक्षा में सफलता के लिए नियमित मेहनत ज़रूरी है। जल्दबाजी में की गई पढ़ाई टिकाउ नहीं होती।
7. एक चालाक गिलहरी और कोयल का गीत (The Story of a Clever Squirrel and the Lost Song with Moral)
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जंगल में सभी जानवर खुश थे। सुबह मोर नाचा करते, दिनभर चिड़ियाँ गातीं और शाम को गीदड़ हंसते। पर पिछले कुछ दिनों से जंगल का माहौल उदास था। जंगल का सबसे मीठा गीत गाने वाली कोयल, चिंतित सी एक पेड़ की टहनी पर बैठी थी।
उसका मीठा गीत गायब हो गया था! चिड़ियों का झुंड चिंतित होकर कोयल के पास इकट्ठा हो गया।
“कोयल दीदी, आपका मीठा गीत कहाँ गया?” एक छोटी चिड़िया ने पूछा।
कोयल ने उदास होकर कहा, “मुझे नहीं पता। कल सुबह सोने से उठने पर मुझे गाना याद नहीं आया।”
जंगल के सारे जानवर परेशान थे। उनके बिना कोयल का गीत, जंगल अधूरा लग रहा था। तभी, एक चालाक गिलहरी, चंचल, पेड़ से नीचे कूद पड़ी।
“चिंता मत करो,” चंचल ने कहा। “मैं कोयल दीदी का गाना वापस ला दूंगी।”
चंचल जंगल की सबसे तेज दौड़ने वाली गिलहरी थी। वह पूरे जंगल में घूमती रही और जानवरों से पूछती रही, “क्या तुमने कोयल दीदी का गाना सुना है?”
उसने बूढ़े हाथी से पूछा, जिसने बताया कि उसने सुना है गानों को चुराने वाला एक दुष्ट सांप जंगल में आया है। चंचल तुरंत सांप के बिल तक पहुंची।
“तुमने कोयल दीदी का गाना चुराया है ना?” चंचल ने पूछा।
सांप ने फुफकारते हुए कहा, “हाँ, चुराया है। अब जंगल में सिर्फ मेरी फुफकार सुनाई देगी!”
चंचल को पता था कि सांप अंधेरे में ही देख सकता है। उसने एक शानदार विचार किया। वह जंगल के सबसे चमकीले फूल, इंद्रगोप की पत्तियां इकट्ठी कर लाईं।
फिर, चंचल सांप के बिल के सामने नाचने लगी। इंद्रगोप की पत्तियां सूर्य की रोशनी से चमक रही थीं। सांप चकाचौंध खाकर बाहर निकल आया।
उसी मौके का फायदा उठाकर, चंचल सांप के बिल में घुसी और कोयल के गीत को वापस ले आई। सांप अंधेरे में चंचल को पकड़ नहीं पाया।
चंचल खुशी से नाचती हुई कोयल के पास लौटी और उसका गाना वापस कर दिया। कोयल ने अपना मीठा गीत गाना शुरू किया। पूरा जंगल फिर से खुश हो गया।
सीख (Shikh): दिमाग लगाकर काम करने से कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है। छोटा प्राणी भी चालाकी से बड़े से बड़े को हरा सकता है। जंगल में हर किसी की अपनी खासियत होती है, जो जंगल को संपूर्ण बनाती है।
8. रॉबिन और बारिश का राज (Secret story of Robin and Rain In Hindi)
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रॉबिन, एक जिज्ञासु चिड़िया थी। उसे बारिश का मौसम बहुत पसंद था। उसे ज़ोर से बारिश की आवाज सुनना और पोखर में तैरना अच्छा लगता था। पर एक बार, गर्मी बहुत ज़्यादा पड़ गई। हफ्तों तक बारिश नहीं हुई। नदियां सूखने लगीं और पेड़-पौधे मुरझाने लगे।
रॉबिन को यह देखकर बहुत दुख हुआ। वह जानना चाहती थी कि बारिश कहाँ चली गई। उसने अपने दोस्त, बुद्धिमान तोते, गप्पू से पूछा, “गप्पू मित्र, बारिश कहाँ गई?”
गप्पू ने कहा, “बारिश के राजा, बादल बाबा, नाराज हो गए हैं। इसीलिए बारिश नहीं हो रही है।”
“बादल बाबा क्यों नाराज हैं?” रॉबिन ने पूछा।
गप्पू ने बताया, “जंगल के जानवर पेड़ों को काट रहे हैं और प्रदूषण फैला रहे हैं। बादल बाबा इससे बहुत दुखी हैं। वह तभी बारिश करेंगे, जब जंगल स्वस्थ होगा।”
रॉबिन ने फैसला किया कि वह बादल बाबा को मनाएगी। वह ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ती रही, जहां बादल बाबा रहते थे। रास्ते में उसे कई मुश्किलें आईं, पर वह हिम्मत नहीं हारी।
आखिरकार, वह बादल बाबा के महल तक पहुंच गई। बादल बाबा बहुत दुखी दिख रहे थे। रॉबिन ने उन्हें जंगल की हालत बताई और वादा किया कि जानवर पेड़ नहीं काटेंगे और प्रदूषण कम करेंगे।
बादल बाबा रॉबिन की बातों से प्रभावित हुए। उन्होंने कहा, “तुम्हारी हिम्मत और जंगल के जानवरों के वादे से मैं खुश हुआ। अब मैं फिर से बारिश करूंगा।”
बादल बाबा ने बारिश शुरू कर दी। जंगल में फिर से हरियाली लौट आई। जानवरों ने रॉबिन को धन्यवाद दिया। रॉबिन को बहुत खुशी हुई कि उसने अपनी हिम्मत से जंगल को बचा लिया।
सीख (Shikh): पर्यावरण की रक्षा करना हमारा सबका फर्ज है। पेड़ काटना और प्रदूषण फैलाना गलत है। प्रकृति के संतुलन को बनाए रखना ज़रूरी है।
9. एक चतुर खरगोश और जंगल की दौड़ (The Story Of A Clever Rabbit And The Jungle Race)
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जंगल में हर साल एक दौड़ का आयोजन होता था। इस साल, जंगल का सबसे तेज धावक चीता जीतने का प्रबल दावेदार था। दूसरे जानवर थोड़ा निराश थे। उन्हें लगता था कि कोई भी चीते को हरा नहीं सकता।
रॉबिन, जो पिछली कहानी की हमारी जिज्ञासु चिड़िया है, अपने दोस्त खरगोश, रिंकू से बात कर रही थी। रिंकू एक होनहार खरगोश था, पर उसे पता था कि वह चीते को दौड़ में हरा नहीं सकता।
“काश, मैं दौड़ जीत पाता,” रिंकू ने उदास होकर कहा।
रॉबिन ने रिंकू को हार नहीं मानने के लिए कहा और उसे एक विचार सुझाया। दौड़ के दिन, सभी जानवर इकट्ठे हुए। चीता अपनी जीत को लेकर बहुत आश्वस्त था।
दौड़ का झंडा हिलने के साथ ही, सभी जानवर दौड़ने लगे। चीता, जैसा कि सब जानते थे, सबसे आगे था। रिंकू पीछे था, पर उसने हार नहीं मानी।
जंगल में रिंकू को जंगल के रास्ते और छोटे रास्तों का अच्छा ज्ञान था। उसने एक चालाकी से काम लिया। वह जानता था कि चीता सीधे रास्ता पसंद करता है, जबकि जंगल में कई छोटे रास्ते थे।
रिंकू छोटे रास्तों से होता हुआ जल्दी से आगे बढ़ता गया। चीता उसे ढूंढ ही नहीं पाया। आखिरकार, रिंकू सबसे पहले फिनिशिंग लाइन पर पहुंचा। सब जानवर हैरान रह गए।
चीता हार मानकर रिंकू को बधाई देने आया। उसने रिंकू से पूछा, “तुम मुझसे कैसे जीते?”
रिंकू ने मुस्कुराते हुए कहा, “कभी-कभी दिमाग से जीती गई दौड़, ताकत से जीती गई दौड़ से ज़्यादा मायने रखती है।”
जंगल में खुशी की लहर दौड़ गई। रिंकू को उसकी चालाकी और जंगल के ज्ञान के लिए सम्मान मिला।
सीख (Shikh): हर किसी की अपनी खासियत होती है। ताकत के साथ-साथ दिमाग का इस्तेमाल भी ज़रूरी है। जंगल का हर हिस्सा और उसका ज्ञान हमारे काम आ सकता है।
10.एक चमत्कारी मेहमान (A Miraculous Guest’s Hindi Story)
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छोटू एक शरारती बंदर था। उसे पेड़ों पर झूलना, फल तोड़ना और जंगल के दूसरे जानवरों को परेशान करना बहुत पसंद था। एक दिन, छोटू पेड़ों पर झूल रहा था, तभी उसने आकाश में एक चमकती चीज देखी। वो चीज तेजी से नीचे आ रही थी और जंगल के बीचोंबीच जा गिरी।
छोटू उत्सुकता से उस चमकती चीज के पास पहुंचा। वहां उसे एक अजीब सा डिब्बा मिला। डिब्बे में से धुआं निकल रहा था और कुछ तार निकले हुए थे। छोटू ने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा था।
डरते हुए, छोटू ने धीरे से डिब्बे को छुआ। अचानक डिब्बा खुल गया और उसमें से एक छोटा सा जीव निकल आया। वो जीव हरा था, बड़े-बड़े कान और चमकती आंखें थीं।
“मैं हूं स्पार्की,” जीव बोला। “मेरा स्पेसशिप खराब हो गया है और मैं इस जंगल में फंस गया हूं।”
छोटू चौंक गया। उसने पहले कभी किसी अंतरिक्ष जीव से बात नहीं की थी। स्पार्की ने छोटू को बताया कि उसे अपने स्पेसशिप को ठीक करने के लिए कुछ खास पौधों की जरूरत है।
छोटू को अचानक एहसास हुआ कि वो अपनी शरारतों से जंगल को नुकसान पहुंचाता है। पर अब उसे स्पार्की की मदद करनी थी। छोटू पूरे जंगल में दौड़ा और जड़ी-बूटी के जानकार बूढ़े हिरण से मदद मांगी।
बूढ़े हिरण ने स्पार्की की मदद करने के लिए छोटू की प्रशंसा की। उन्होंने छोटू को वो सारे पौधे बताए जो स्पार्की के स्पेसशिप को ठीक करने में काम आ सकते थे।
छोटू ने खुशी-खुशी स्पार्की को पौधे ढूंढने में मदद की। आखिरकार, स्पार्की के स्पेसशिप को ठीक कर लिया गया। जाने से पहले, स्पार्की ने छोटू को अंतरिक्ष की तस्वीरें दिखाईं और उसे जंगल की रक्षा करने के लिए धन्यवाद दिया।
छोटू को एहसास हुआ कि जंगल की रक्षा करना कितना जरूरी है। उसने अपनी सारी शरारतें छोड़ दीं और जंगल के दूसरे जानवरों की मदद करने लगा। अब वह जंगल का रक्षक बन गया था।
सीख (Shikh): हर किसी की गलती माफ की जा सकती है। दूसरों की मदद करने से हमें खुशी मिलती है। प्रकृति की रक्षा करना हमारा फर्ज है।
ये थीं जंगल की वो Top 10 Short Moral Stories In Hindi, जिनको पढ़कर आपके बच्चे ना सिर्फ रोमांचित होंगे बल्कि जीवन के अनमोल सबक़ भी अपने अंदर समेट लेंगे।
बिल्कुल! ये Hindi Kahaniyan बच्चों के लिए न सिर्फ मनोरंजक हैं, बच्चों को जीवन में सही राह दिखाने का काम भी करते हैं. इन कहानियों से बच्चे ईमानदारी, मेहनत, दया, सच्चाई, और दोस्ती जैसे महत्वपूर्ण मूल्यों को सीखते हैं, जो उन्हें एक बेहतर इंसान बनने में मदद करते हैं.
तो आज से ही अपने बच्चों को इन Hindi Stories से अवगत कराएं और उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाएं.
यहां कुछ अतिरिक्त सुझाव दिए गए हैं:
- अपने बच्चों के साथ बैठकर इन कहानियों को पढ़ें और उनसे इन कहानियों से क्या सीख मिली, इस बारे में बात करें.
- इन कहानियों के आधार पर खेल खेलें और बच्चों को अपनी कल्पना का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करें.
- बच्चों को इन कहानियों से प्रेरित होकर अपनी कहानियां लिखने और चित्र बनाने के लिए प्रोत्साहित करें.
इन हिंदी की कहानियों के माध्यम से आप अपने बच्चों में अच्छे नैतिक मूल्यों का विकास कर सकते हैं और उन्हें एक बेहतर इंसान बनाने में मदद कर सकते हैं.
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