A True Motivational Story In Hindi
इंसान धन-दौलत से अमीर नहीं होता हैं वह अपने विचारों से अमीर होता हैं.
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दोस्तों यह True Motivational Story In Hindi एक साउथ अफ़्रीकी फोटोग्राफर Kevin Carter के जीवन पर आधारित एक सच्ची प्रेरणादायक कहानी है, जिसमें इस फोटोग्राफर ने लालच की सारी हदों को पार कर दिया। यह मोटिवेशनल कहानी आपके जीवन व सोचने के नजरिये को बदल सकती है।
यह प्रेरणादायक हिन्दी कहानी आपके लिए एक जिंदगी बदलने वाली कहानी साबित हो सकती है। आपको इस True Motivational Story In Hindi से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और आप अपनी जिन्दगी के प्रति Motivate व inspire हो जाओगे।
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मानवता को शर्मसार करने वाली एक सच्ची कहानी
ऊपर आप एक तस्वीर देख रहे होंगे। इस तस्वीर का नाम “The starving child and a vulture” है। यह तस्वीर 1993 के साउथ सूडान में आए एक भयंकर अकाल के दौरान एक साउथ अफ़्रीकी फ़ोटोग्राफर द्वारा खींची गई थी।
इस तस्वीर के फोटोग्राफर साउथ अफ्रीका के Kevin Carter हैं। इस तस्वीर के लिए Kevin Carter को पुलित्जर सम्मान से सम्मानित किया गया था। लेकिन यह तस्वीर बाद में उनकी मौत का कारण भी बनी और यह तस्वीर के खींचने के 3 महीने बाद ही उन्होंने आत्महत्या कर ली थी।
आखिर कैसे इतना बड़ा सम्मान हासिल करने वाली यह तस्वीर Kevin Carter के लिए मौत का कारण बनी। इसके पीछे की पूरी कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूं और इसको पढ़कर शायद दुनिया के बारे में और जिंदगी के बारे में आपके सोचने के नजरिए में आमूलचूल परिवर्तन आए।
यह तस्वीर 1993 के दक्षिणी सूडान में आए भयंकर अकाल को प्रदर्शित कर रही है। इस अकाल में लगभग 20000 लोगों की मौत हुई थी। इस भयावह अकाल की तबाही की तस्वीरें लेने के लिए Kevin Carter दक्षिण अफ्रीका से यहां आए थे।
यहां आने के एक दिन बाद जब Kevin Karter तस्वीरें खींच रहे थे तो उन्हें किसी के रिरियाने की ( रोने जैसी ) आवाज सुनाई दी। इस आवाज का पीछा करते हुए जब Kevin Carter कुछ ही दूरी पर खुली झाड़ियों में पहुंचे तो वहां उन्हें एक लगभग दो-तीन साल की बच्ची दिखाई दी, जो भूख के कारण मरने की कगार पर थी।
यह बच्ची वहीं पास में बने यूनाइटेड नेशन के फीडिंग सेंटर के रास्ते पर पड़ी थी और हल्का हल्का घिसट कर यूनाइटेड नेशन फीडिंग सेंटर पहुंचने की कोशिश कर रही थी। जहां पहुंचकर उस छोटी सी बच्ची को खाना मिल जाता और उसकी जान बच जाती।
इसलिए छोटी बच्ची हल्का-हल्का घिसट रही थी और डर और भूख के कारण बिल्कुल मध्यम आवाज में रिरिया भी रही थी। शायद अब उसमें इतनी हिम्मत भी नहीं बची थी कि वह जोर से रो पाती और अपनी मदद के लिए किसी को पुकार पाती।
छोटी लड़की से लगभग 4-5 फुट की दूरी पर एक गिद्ध बैठा था और वह शायद इस बात का इंतजार कर रहा था कि कब वह छोटी बच्ची मरे और वह उस बच्ची के मृत शरीर को खा सकें।
छोटी लड़की धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी और थोड़ी थोड़ी देर रुक रुक कर जमीन पर नीचे की तरफ सिर झुका कर जमीन पर लेट जाती थी और जब वह गिद्ध उसकी तरफ बढ़ता तो है अचानक से अपना सिर उठाती और धीरे-धीरे आगे बढ़ने की कोशिश करती।
Kevin Carter लगभग 20 मिनट तक इस घटना को देखते रहे और इस बात का इंतजार करते रहे की शायद वह गिद्ध उड़ जाए, लेकिन उन्होंने इस बच्ची को बचाने के लिए किसी प्रकार का कोई प्रयास नहीं किया। Kevin Carter को कथित तौर पर वहां फैली बीमारी की वजह से पीड़ितो की मदद ना करने की सलाह दी गई थी।
कुछ देर इंतजार करने के बाद भी जब वह गिद्ध नहीं उड़ा तो Kevin Carter ने उस घटना की एक तस्वीर खींची, एक सिगरेट जलाई और भगवान से उस बच्ची की मदद की गुहार लगाकर वहां से चले गए। न्यूयार्क टाइम्स ने इस तस्वीर को खूब चलाया। इस तस्वीर के लिए Kevin Carter को पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पुरस्कार सम्मान समारोह में जब एक पत्रकार ने Kevin Carter से पूछा कि बाद में उस बच्ची का क्या हुआ तो Kevin Carter ने कहा कि मुझे नहीं पता। तो पत्रकार ने दोबारा Kevin Carter पूछा कि आपने उसको बचाने की कोशिश नहीं की। तो Kevin Carter ने इसके जवाब में कहा कि ” क्योंकि मुझे अपनी फ्लाइट पकड़नी थी तो मैं उस बच्ची को उसी हालत में छोड़कर वहां से चला आया था “।
तो इसके जवाब में उस पर पत्रकार ने कहा कि कि उस दिन वहां एक नहीं बल्कि दो गिद्घ थे, जिनमें से एक के हाथ में कैमरा था। यह बात सुनकर पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया। केविन कार्टर को झटका सा लगा और उनके अंतर्मन में एक भूचाल सा आ गया। वहां से लौटने के बाद केविन कार्टर इसी बात के बारे में सोचते रहे।
उन्हें लगा कि वे उस छोटी बच्ची के हत्यारे हैं। यदि उस दिन वह उस छोटी बच्ची को यूनाइटेड नेशन के फीडिंग सेंटर तक पहुंचा देते तो उस छोटी बच्ची की जान बच जाती। वह महीनों तक इसी बात के बारे में सोचते रहे, किसी से बात नहीं करते, हर समय उस पत्रकार के वह तीर भरे शब्द उसके कलेजे को कुदेरते रहते। इस वजह से वे इतने अवसाद ग्रस्त हो गए थे कि उन्होंने अपने आप को एक कमरे में बंद कर लिया और इसी अवसाद और ग्लानि के कारण उन्होंने आख़िरकार सम्मान मिलने के 3 महीने बाद ही आत्महत्या कर ली।
पैसा हमारी जिंदगी में बहुत मायने रखता है, और इसके लिए हमेशा हमें प्रयासरत रहना भी चाहिए। लेकिन पैसा कमाने की भागदौड़ में इंसानियत को ही भूल जाना बहुत गलत है। इस तस्वीर के फोटोग्राफर केविन कार्टर ने भी यही गलती की और इस गलती का परिणाम उन्हें आत्महत्या करके चुकाना पड़ा।
अगर वह उस बच्ची को उस दिन यूनाइटेड नेशन की फीडिंग सेंटर तक पहुंचा देते तो कार्टर को आत्महत्या करने की नौबत ना आती। जबकि यदि वे उस दिन उस छोटी बच्ची को बचा कर इंसानियत का प्रदर्शन करते तो केविन कार्टर को पुलित्जर पुरस्कार विजेता के साथ-साथ उनके विशाल हृदय के लिए तथा उनकी इंसानियत के लिए भी सराहा जाता।
इस कहानी को पढ़ने के बाद शायद आप भी कुछ बातों के बारे में सोचने को मजबूर हो जाए। दुनिया में हर व्यक्ति के पास एक जैसे संसाधन नहीं है। बेशक यह तस्वीर एक अकाल के दौर की हो, लेकिन दुनिया में आज भी बहुत सारे देश ऐसे हैं, जो इस तरह की भुखमरी के दौर से गुजर रहे हैं।
वर्ल्ड हंगर रिपोर्ट 2019 के अनुसार दुनिया में 82.2 करोड लोग ऐसे हैं जिनको आज भी पेट भर खाना नहीं मिलता। जब आदमी के पास पेट भरने लायक खाना भी न हो, तो हम उसकी अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति का अंदाजा लगा सकते हैं।
जबकि दूसरी तरफ हम हैं जो हर समय छोटी-छोटी बातों को लेकर शिकायतें करते रहते हैं। हो सकता है हमारे पास बहुत बड़ा घर ना हो, बहुत बड़ी गाड़ी ना हो, बहुत सारा पैसा ना हो। लेकिन आपके पास जो भी है वह होना भी कई लोगों के लिए बस एक सपना मात्र ही है।
जबकि हमें उन चीजों की कद्र भी नहीं है और अपनी उन चीजों के लिए हम हमेशा शिकायतें करते रहते हैं। अगर आपके पास सिर छुपाने के लिए छत है और खाने के लिए दोनों वक्त का खाना है तो भी आप दुनिया के लगभग 75% लोगों से अमीर हैं।
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ताकि जो लोग जीवन में कुछ करना चाहते हैं, कुछ बनना चाहते हैं। लेकिन जीवन की परेशानियों के कारण, उन्होंने हार मान ली है। तो वे लोग इस ब्लॉग ‘True Motivational Story In Hindi‘ से प्रेरित हो सकें।
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