“हमेशा याद रखिये कि सफलता के लिए किया गया आपका अपना संकल्प किसी भी और संकल्प से ज्यादा महत्त्व रखता है।”
~~ अब्राहम लिंकन
यह प्रेरणादायक हिंदी कहानी आपके जीवन व सोचने के नजरिये को बदल सकती है। आप चाहे महिला है या पुरुष, यह Short Motivational Story In Hindi For Success आपके लिए एक ज़िन्दगी बदलने वाली कहानी साबित हो सकती है। आपको इस प्रेरणादायक कहानी से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और आप अपनी जिन्दगी के प्रति Motivate व inspire हो जाओगे।
Short Motivational Story In Hindi For Success
सफलता अक्सर इंसानों के साथ इस तरह की चालबाजी करती है कि यह पिछले दरवाजे से चुपचाप घुस आती है। सफलता बड़ी शातिर होती है। यह अक्सर दुर्भाग्य या अस्थाई पराजय के वेश में आती है। इसलिए अधिकतर लोग इसे पहचान नहीं पाते। क्योंकि अस्थाई पराजय को देख कर ही वे उससे हार मान कर बैठ जाते हैं और उसके पीछे छिपी सफलता को वे देख ही नहीं पाते।
किसी भी व्यक्ति के असफल होने का यह सबसे आम कारण है कि लोग अस्थाई पराजय के बाद हार मान लेते हैं और अपने काम को करना बंद कर देते हैं। जब किसी व्यक्ति को अपने काम में सफलता नहीं मिलती तो उसे सबसे आसान और तार्किक रास्ता यह दिखता है कि वह मैदान छोड़कर चला जाए और ज्यादातर लोग यही करते हैं। इसलिए शायद दुनिया के अधिकतर लोग गरीबी और बदहाली में जीते हैं।
जबकि दुनिया में कुछ गिने-चुने लोग एक समृद्ध और खुशहाल जीवन जीते हैं। वे ऐसा इसलिए कर पाते हैं क्योंकि उन्होंने जीवन में आने वाली अस्थाई पराजय पर कभी ध्यान नहीं दिया। वे लगातार अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए संपूर्ण आत्मविश्वास और समर्पण के साथ मेहनत करते रहे।
दुनिया के सबसे सफलतम लोगों के अनुसार उन्हें सफलता तब मिली जब वे बिल्कुल हार चुके थे और हारने के बिंदु से एक कदम आगे ही सफलता उनका इंतजार कर रही थी। इसी विषय से संबंधित एक छोटी सी सच्ची घटना मैं आपको बताना चाहूंगा। जिसमें एक व्यक्ति ने SUCCESS से 3 फुट दूरी पर ही हार मान ली और मैदान छोड़ दिया। जबकि सफलता सिर्फ 3 फुट की दूरी पर उसका इंतजार कर रही थी। दरअसल यह घटना मिस्टर आर यू डारबी व उनके अंकल के बारे में है।
यह घटना ( 1848 – 1855 ) के कैलिफोर्निया गोल्ड रस के बारे में है। जब एक कपड़ा मिल में काम करने वाले जेम्स डब्लू मार्शल नाम के एक व्यक्ति को कोलोमा, कैलिफोर्निया की एक मिल में सोने की एक खदान मिली थी। इसके बाद पूरे अमेरिका में लगभग तीन लाख लोग सोने की तलाश में अमेरिका के भिन्न-भिन्न हिस्सों में पहुंच गए थे।
अमेरिका के ही एक छोटे से गांव विलियम्सबर्ग, मेरीलैंड के ही मिस्टर डारबी व उनके अंकल भी उस दौरान सोने की खोज के अभियान में जुट गए थे। उन्होंने खुदाई करने के लिए एक कुदाली और फावड़ा उठाया और पश्चिम दिशा में जमीन के एक टुकड़े पर खुदाई करने में जुट गए। उन्होंने इस जमीन के टुकड़े को पट्टे पर लिया था। कई सप्ताह की मेहनत के बाद उन्हें चमकते हुए सोने की झलक ( सोने के अयस्क ) दिखाई देती है। वे यह सब देखकर बड़े खुश होते हैं।
लेकिन उस सोने को सतह तक लाने के लिए मशीनों की जरूरत थी। बिना मशीनों के यह काम संभव नहीं था। उन्होंने इसके लिए एक योजना बनाई। उन्होंने चुपचाप उस खदान का मुंह ढक दिया और विलियम्सबर्ग के अपने घर लौट आए। उन्होंने अपने कुछ रिश्तेदारों व कुछ दोस्तों को इस सफलता के बारे में बताया। उन्होंने यह भी बताया कि उस सोने को सतह तक लाने के लिए मशीनों की जरूरत है और इसके लिए उन्हें धन की आवश्यकता है। सभी ने मिलकर मशीनों को खरीदने के लिए धन इकट्ठा किया और मिस्टर डारबी व उनके अंकल दोबारा काम शुरू करने के लिए खदान पर लौट आए।
सभी मशीनें सही से काम कर रही थी। कच्ची धातु की पहली खेप मशीनों की सहायता से सतह पर लाई गई और उसे स्मेल्टर ( धातु गलाने वाला कारखाना ) तक पहुंचाया गया। जब कच्ची धातु की इस पहली खेप को स्मेल्टर में लाया गया तो वहां पता चला कि उनकी खदान वहां की सबसे अच्छी खदान थी और दूसरी खदानों की बजाय उनकी खदान के सोने की गुणवत्ता व मात्रा दोनों ही अच्छी थी।
यह सुनकर दोनों बड़े खुश हुए, क्योंकि वे यह अनुमान लगा रहे थे कि कच्ची धातु की कुछ खेपों से ही उनके सारे कर्ज उतर जाएंगे और फिर भारी मुनाफे की बारी आएगी। इसलिए जैसे-जैसे मशीनें खुदाई करते हुए नीचे की ओर जा रही थी तो दूसरी तरफ मिस्टर डारबी व उनके अंकल की अमीर बनने की आशाएं भी आसमान छू रही थी।
लेकिन ऐसा संभव नहीं है कि सब कुछ इंसान की इच्छा के अनुसार हो। मिस्टर डारबी व उनके अंकल के साथ भी अचानक से कुछ ऐसा ही हुआ। अचानक से सोने की झलक गायब हो गई। वे इस आशा में कई दिनों तक खोदते रहे की दोबारा से सोने की उस झलक को पा सके। परंतु उनकी मेहनत बेकार गई।
आखिरकार उन्होंने हार मान ली और उन्होंने मशीनों को कौड़ियों के भाव एक कबाड़ी को बेच दिया और ट्रेन पकड़ कर वापस अपने घर चले गए। लेकिन जिस कबाड़ी ने उस खदान व उन मशीनों को खरीदा था, वह कोई अनुभवी व्यक्ति था और वह जानता था कि किसी भी काम में हार मानने से पहले उस कार्य के विशेषज्ञ व्यक्ति से सलाह लेना उचित होता है।
उसने ऐसा ही किया। उसने एक माइनिंग इंजीनियर को बुलाया और उस खदान का निरीक्षण करवाया। उस माइनिंग इंजीनियर ने उस कबाड़ी को बताया कि यह प्रोजेक्ट इसलिए असफल हुआ क्योंकि इस खदान का मालिक यह नहीं जानता था कि बीच में फॉल्ट लाइनें आती है। जिस कारण से बीच बीच में सोने की झलक गायब हो जाती है।
उस खदान इंजीनियर के अनुसार सोने की झलक उस स्थान से मात्र 3 फीट नीचे थी, जहां से मिस्टर डारबी व उनके अंकल ने खुदाई बंद कर दी थी। कबाड़ी ने दोबारा से खुदाई शुरू कर दी और उस माइनिंग इंजीनियर का अनुमान बिल्कुल सच साबित हुआ। उस स्थान से मात्र तीन फ़ीट नीचे ही उसे सोने की झलक मिल गई जहां से मिस्टर डार्बी व उसके अंकल ने खोदना बंद किया था। उस कबाड़ी ने उस खदान से लाखों करोड़ों डॉलर का सोना हासिल किया। वह भी सिर्फ इस कारण से कि वह जानता था कि हार मानने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित होता है।
लेकिन अगर वह कबाड़ी भी मिस्टर डारबी व उनके अंकल की तरह ही सोचता और केवल कबाड़ में खरीदी उन मशीनों को ही लेकर चला जाता तो उसे सफलता नहीं मिलती। इसलिए जो भी काम हम कर रहे हैं, जो भी जीवन में हम बनना चाहते हैं उसे पाने में पूरी जान लगा दे।
कई साल बाद जब मिस्टर डारबी जीवन बीमा बेचने के क्षेत्र में आए, तो उन्होंने खुदाई में हुए नुकसान कि कई गुना भरपाई कर ली। मिस्टर ऐसे चुनिंदा लोगों में से एक बन गए थे जो हर साल लगभग ₹10 लाख से अधिक का जीवन बीमा बेचते थे।
मिस्टर डारबी बताते हैं कि उन्होंने सोने की खदान वाले बिजनेस में सोने से 3 फुट की दूरी पर हार मान ली थी। लेकिन इसी अनुभव से उन्होंने जीवन में एक नया सबक सीखा। उन्होंने सोने की खदान वाले बिजनेस के ‘हार मानने के अनुभव‘ से जीवन में ‘हमेशा जुटे रहने और कभी हार ना मानने का सबक‘ सीखा।
मिस्टर डारबी बताते हैं कि अब जब मैं किसी से जीवन बीमा खरीदने के लिए कहता हूं और वह व्यक्ति ना कह देता है, तो भी मैं कोशिश करना नहीं छोड़ता और मैं तब तक कोशिश करता रहता हूं जब तक वह व्यक्ति हां नहीं कर देता। मिस्टर डारबी भी बताते हैं कि मैंने अधिकतर जीवन बीमा उन लोगों को बेचा है, जिन्होंने मुझे शुरू में ही ना बोल दिया था।
किसी भी व्यक्ति के जीवन में कामयाबी आने से पहले अस्थाई पराजय या असफलता जरूर आती है। असफलता बहुत चालाक होती है इसे लोगों को तब गिराने में मजा आता है जब वह सफलता के बहुत करीब होते हैं। मैंने आपको यह कहानी नेपोलियन हिल की बेस्टसेलिंग बुक सोचिये और अमीर बनिए ( Think and Grow Rich ) से बताई है। नेपोलियन हिल अमेरिका के एक बहुत ही फेमस लेखक है और बहुत सारी बेस्टसेलिंग बुक लिख चुके है।
Think and Grow rich में अमेरिका के 500 सबसे ज्यादा सफल लोगों द्वारा इस बुक के लेखक Napolion Hill को दिए एक इंटरव्यू में बताया है कि उन्हें सफलता तब मिली थी जब वे बिल्कुल थक चुके थे और हार मानने वाले थे। लेकिन हारने के बिंदु से एक कदम आगे ही सफलता उनके लिए इंतजार कर रही थी।
राह में आने वाली इन छोटी-छोटी असफलताओं पर ध्यान न दे, नहीं तो हम भी मिस्टर डारबी व उनके अंकल की तरह सफलता से सिर्फ 3 फीट की दूरी पर ही हार मान कर बैठ जाएंगे। क्या पता उस अस्थाई पराजय के पीछे ही आपकी असली सफलता छुपी और आपका इंतजार कर रही हो।
मैंने आपको यह ‘मोटिवेशनल कहानी इन हिंदी‘ महान लेखक मिस्टर Napolion Hill की बेस्टसेलिंग बुक Think and Grow rich से आपको बताई है, अगर आप इस बुक को खरीदना चाहते है तो निचे दिए लिंक से आप इसे खरीद सकते है।
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ताकि जो लोग जीवन में कुछ करना चाहते हैं, कुछ बनना चाहते हैं। लेकिन जीवन की परेशानियों के कारण, उन्होंने हार मान ली है। तो वे लोग इस ‘Short Motivational Story In Hindi For Success‘ से प्रेरित हो सकें।
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