Short Motivational Story In Hindi

Short Motivational Story In Hindi For Success With Moral

पृथ्वी इंसान की सभी जरूरतों को पूरा कर सकती है,

लेकिन इंसान के लालच को कभी पूरा नहीं कर सकती है।

— Anonymous

इंसानी लालच पर आधारित यह Real Life Short Motivational Story In Hindi आपके जीवन व सोचने के नजरिये को बदल सकती है। आप चाहे महिला है या पुरुष, यह Hindi Motivational Kahani आपके लिए एक Life Changing Story साबित हो सकती है।

आपको इस Short Motivational Story In Hindi For Kids से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और आप अपनी जिन्दगी के प्रति Motivate व Inspire हो जाओगे।

Short Motivational Story In Hindi For Success

यह कहानी पंजाब के एक छोटे से शहर खन्ना में रहने वाले जगदीश प्रसाद शर्मा ( काल्पनिक नाम ) के बारे में है। जगदीश शर्मा की खन्ना में एक दवाइयों की एक दुकान थी, जो काफी पुरानी और शहर के बीचो-बीच होने के कारण काफी मशहूर थी। अक्सर उनकी दुकान पर दवाई लेने वालों की काफी भीड़ लगी रहती थी। 

A Short Motivational Story In Hindi With Moral

लगभग 30 साल पहले जगदीश शर्मा के पिता ने इसे 20 गज जगह में एक छोटी सी दुकान के रूप में शुरू किया था। लेकिन अब यह लगभग 100 गज जगह में फैला एक काफी बड़ा मेडिकल स्टोर था। इसके साथ ही उन्होंने एक क्लिनिकल लैबोरेट्री भी खोल रखी थी। उनकी दुकान में लगभग 10-12 कर्मचारी भी काम करते थे। इसी दुकान की कमाई से उन्होंने काफी सारी जमीन, प्लाट और शहर में दो-तीन महंगे घर भी खरीद लिए थे। 

तो चलिए यह कहानी उन्हीं के शब्दों में आपको बताते हैं जगदीश शर्मा बताते हैं कि ” हालांकि मेरा मेडिकल स्टोर मुझे काफी पैसा कमा कर दे रहा था। लेकिन मेरा पैसों का लालच कभी कम नहीं हुआ। मैं एक लालची किस्म का व्यक्ति था। मैं अपनी दुकान पर आने वाले हर व्यक्ति से हमेशा ज्यादा पैसे लेता था। 

आपको शायद पता नहीं होगा कि दवाइयों में बहुत मुनाफा है। ₹5 की दवाई को आप आराम से ₹50-₹60 में बेच सकते हैं। दवाइयों में एक या दो गुना नहीं बल्कि कई गुना मुनाफा मिलता है। लेकिन अगर मुझसे कोई एक- दो रुपए छोड़ने के लिए भी कहता था तो मैं मना कर देता था। 

मेरी नजर में अमीर गरीब का कोई अंतर नहीं था। मैं सभी से एक समान रुपए लेता था और एक रुपया भी नहीं छोड़ता था। मैंने इस बात की कभी परवाह नहीं की कोई व्यक्ति कितना परेशान है या उस पर दवाइयों के पूरे पैसे है भी या नहीं। मुझे बस मेरा लालच ही दिखता था। 

बात 2008 की गर्मियों की है एक लगभग 70-80 साल का बुड्ढा मेरे पास आया। वह पसीने से लगभग भीगा हुआ था और बार-बार अपने पुराने मैले से गमछे से अपने शरीर को पोंछ रहा था। उसने बताया कि उसकी पत्नी बीमार है और उसने एक पर्ची निकाल कर मुझे दी जिस पर कुछ दवाइयां लिखी हुई थी।

मैंने अपनी दुकान पर काम करने वाले एक लड़के से कहकर वह सारी दवाइयां निकलवा दी। मैंने वह दवाइयां और 680 रुपए का उनका बिल उस बूढे व्यक्ति को थमा दिया। बूढ़े व्यक्ति ने अपनी सारी जेबों को टटोला और सभी जेबों से मुश्किल से 220 रूपए निकले। 

मैं उस बूढ़े व्यक्ति को बड़े ध्यान से देख रहा था और मैं यह देख कर गुस्सा भी हो रहा था कि इस बूढ़े व्यक्ति की दवाइयों को निकालने में हमारा इतना समय बर्बाद हो गया और इसके पास पूरे पैसे भी नहीं है। वह बूढ़ा व्यक्ति उन पैसों को हाथ में लेकर थोड़ी देर तो ऐसे ही खड़ा कुछ सोचता रहा।

लेकिन कुछ देर बाद थोड़ा संकोच करते हुए वह मेरे पास आया और बड़ी धीमी और दयनीय आवाज में मुझसे बोला कि ” बाबूजी, अभी मेरे पास पूरे पैसे नहीं है। मेरी पत्नी बहुत बीमार है। मुझे उसके इलाज के लिए इन दवाइयों की बहुत जरूरत है। आप यह पैसे रख ले और बाकी पैसे मैं कल आपको दे दूंगा।

वह बूढ़ा व्यक्ति मेरी तरफ ऐसे देख रहा था जैसे कि रहम की भीख मांग रहा हो। लेकिन मैंने उसकी बात नहीं सुनी और उसे दवाई रख कर चले जाने के लिए बोला और हमारा समय बर्बाद करने के एवज में मैंने उसे गरीबी के दो – चार ताने भी सुना दिए। 

आगे की स्टोरी बताने से पहले मैं आपको बता दूं कि हालांकि उन दवाइयों की वास्तविक कीमत केवल 160 रूपए ही थी। अगर मैं उस बूढ़े व्यक्ति से वह 220 रूपए भी ले लेता तो भी मुझे 60 रूपए का मुनाफा होता है। लेकिन मैं तो लालच में अंधा हो गया था। मुझे उस बूढ़े व्यक्ति की तकलीफ से क्या मतलब था। 

इस पूरी घटना को मेरी दुकान पर खड़ा एक दूसरा ग्राहक भी बड़े गौर से देख रहा था। शायद उसे उस बूढ़े व्यक्ति की परेशानी पर तरस आ गया और उसने अपनी जेब से 680 रुपए निकाले और दवाइयों के बिल का भुगतान कर दिया। उसने वह दवाइयां मुझसे लेकर उस बूढ़े व्यक्ति को दे दी।

बूढ़ा व्यक्ति लगभग रोते-रोते उस व्यक्ति का धन्यवाद करते हुए वहां से चला गया। मुझे वह व्यक्ति बड़ा बेवकूफ लग रहा था, जिसने बिना जान पहचान उस बूढ़े व्यक्ति की मदद की। लेकिन मुझे क्या मतलब था मुझे मेरे पैसे मिल चुके थे और मैं दोबारा अपने ग्राहकों में व्यस्त हो गया। 

उसके अगले ही साल, यह 2009 की बात है मेरे इकलौते बेटे को कैंसर हो गया। शुरू में तो हमें पता नहीं चला। लेकिन जब पता चला तो कैंसर पूरे शरीर में फैल चुका था। मेरा बेटा लगभग मरने की कगार पर खड़ा था। हमने अपने बच्चे को बहुत डॉक्टरों को दिखाया लेकिन उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही थी।

सभी डॉक्टर्स ने जवाब दे दिया था। उसके इलाज के चक्कर में मेरी सारी जमीन, प्लाट, घर और यहां तक की मेरी दवाइयों की दुकान भी बिक चुकी थी। लेकिन पैसा ऐसे ही पानी की तरह बहता रहा और कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार 2012 में मेरे बेटे का निधन हो गया और लाखों रुपया बहाने के बाद भी मैं उसे नहीं बचा पाया। 

इसके कुछ साल बाद ही 2015 मेरी पत्नी को भी लकवा मार गया और मुझे भी एक कार ने टक्कर मार दी जिसकी वजह से मेरे पैर में चोट लग गई। मुझे भी अब लंगड़ा कर चलना पड़ता था। अब मैं मेरी पत्नी या मेरी दवाइयों पर होने वाला वाले खर्च को देखकर दवाई की दुकान वालों को बहुत कोसता रहता हूं। क्योंकि मैं उन दवाइयों की असली कीमत को जानता हूं। लेकिन मैं किसी से क्या कहूं। जब मैं यह काम करता था तो मैं भी तो ऐसा ही था। 

एक बार अपनी पत्नी के लिए इंजेक्शन खरीदने के लिए मैं एक मेडिकल स्टोर पर गया था। उस 60 रूपए के इंजेक्शन की कीमत उसने मुझसे 450 रूपए मांगी। मेरे पास केवल 270 रूपए ही थे। बिना इंजेक्शन के ही मुझे घर वापस आना पड़ा। जब मैं घर वापस आ रहा था तो मुझे उस बूढ़े व्यक्ति की याद आ रही थी जो कुछ साल पहले मेरी दुकान पर आया था। बार-बार उसका दयनीय चेहरा मेरी आंखों के सामने आ रहा था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वह मेरे लालच के लिए मुझे धिक्कार रहा हो। लेकिन अब मैं अपने किए पर बहुत पछता रहा था।

इस Very Short Motivational Story In Hindi से आपने क्या सीखा ?

पैसा कमाना अच्छी बात है, लेकिन बेईमानी से नहीं बल्कि वैध तरीके से। गरीबों को लूटना अच्छी बात नहीं है। स्वर्ग और नरक कहीं और नहीं बल्कि इसी धरती पर है। पैसा हमेशा आपकी मदद नहीं करेगा। ऊपर वाले से डरो। उसका नियम अटल है। उसकी लाठी में आवाज नहीं है।

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