हवेली वाली भूतनी (Haveli Wali Bhootni) – Bhootni Ki Kahani
एक सुनसान हवेली की खुदाई करते हुए, विक्रम, पुरातत्व छात्र, अनारकली नाम की रानी की बेचैन आत्मा से जुड़े रहस्य को उजागर करता है। अनारकली की कहानी ( Bhootni Ki Kahani ) में एक नया मोड़ सामने आता है, जिससे पता चलता है कि उसे वजीर के प्यार में फंसाया गया था। असली प्रेम राजा के साथ था। विक्रम इतिहास को दुरुस्त करने और अनारकली को शांति दिलाने की चुनौती स्वीकार करता है।
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Bhootni Ki Kahani | Haveli Wali Bhootni
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विक्रम, पुरातत्व विभाग का एक उत्साही छात्र, राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में स्थित एक सुनसान हवेली की खुदाई का नेतृत्व कर रहा था। हवेली के बारे में अफवाहें थीं कि वहां एक भूतनी रहती है, जो रात होते ही घूमती थी। विक्रम को इन कहानियों पर यकीन नहीं था, लेकिन उसके साथ काम करने वाले मजदूर डरे हुए थे।
पहली रात, अजीब सी हरकतें शुरू हुईं। हवा में ठंडी हवा का झोंका चला, जो किसी को छूने जैसा महसूस हुआ। टूटी हुई खिड़कियों से अजीब सी आवाजें आने लगीं, मानो कोई फुसफुसा रहा हो। मजदूर सहमे हुए काम करते रहे थे और हर आहट पर चौंक जाते।
दूसरी रात, और भी ज्यादा डरावनी घटना घटी। एक मिट्टी का दीया अचानक हवा में उछल कर बुझ गया। अंधेरे में किसी के भारी पैरों की आहट सुनाई दी। चीखने की आवाज आई और जब सबने लालटेन की रोशनी जलाई, तो देखा कि एक मजदूर बेहोश पड़ा था। उसके हाथ में एक लोहे का कंगन था, जो हवेली के एक छिपे हुए कमरे से मिला था।
विक्रम ने कंगन की जांच की। यह बहुत ही सुंदर था, जटिल नक्काशी से बना हुआ था। उस पर एक नाम लिखा हुआ था – ‘अनारकली‘. विक्रम को लगा कि शायद यही हवेली की रानी रही होगी। उसने उसी रात हवेली के पुस्तकालय में अनारकली के बारे में पढ़ना शुरू किया।
किताबों में लिखा था कि अनारकली को राजा के वजीर से प्यार हो गया था। राजा को गुस्सा आया और उसने अनारकली को जिंदा दीवार में चुनवा दिया। विक्रम को लगा कि शायद अनारकली की आत्मा ही हवेली में भटक रही है।
अचानक, किताबों के गिरने की आवाज आई। विक्रम ने घबरा कर देखा तो सामने एक पारदर्शी महिला का आकार खड़ा था। उसके कपड़े फटे हुए थे और चेहरे पर गुस्सा था। विक्रम समझ गया – यही अनारकली की भूतनी ( Bhootni ) थी।
भूतनी ने विक्रम की तरफ गुस्से से देखा और कंगन मांगा। विक्रम ने धीरे से कंगन को उसकी तरफ बढ़ाया। भूतनी ने कंगन ले लिया और एक उदास मुस्कान के साथ हवा में गायब हो गई।
सुबह होने पर, मजदूरों ने बताया कि रात में उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई। विक्रम को एहसास हुआ कि अनारकली को शायद सिर्फ अपना कंगन वापस चाहिए था। उसने अनारकली की कब्र ढूंढ निकाली और वहां उसका अंतिम संस्कार करवाया।
हवेली में खुदाई फिर से शुरू हुई, इस बार शांति के साथ। विक्रम को पता चला कि कहानियों में हमेशा सच नहीं होता, लेकिन कभी-कभी वे अधूरे सच का ही हिस्सा होती हैं।
हवेली की खुदाई पूरी होने के कुछ महीनों बाद, विक्रम को एक पत्र मिला। पत्र राजस्थान के एक नामचीन इतिहासकार, प्रोफेसर दयाल, का था। प्रोफेसर दयाल ने लिखा था कि उन्हें अनारकली के बारे में कुछ नई जानकारी मिली है। विक्रम उत्सुक होकर प्रोफेसर दयाल से मिलने उनके बंगले पर पहुंचा।
प्रोफेसर दयाल कमरे में अकेले बैठे थे। कमरा पुराने सामान और किताबों से भरा हुआ था। उन्होंने विक्रम को बताया कि अनारकली की कहानी में एक नया मोड़ सामने आया है।
प्रोफेसर दयाल ने एक पुरानी डायरी निकाली, जिसके पन्ने पीले पड़ चुके थे। यह डायरी अनारकली की दासी, सलीमा, की थी। डायरी में लिखा था कि अनारकली को वजीर से प्यार नहीं था, बल्कि वजीर उसे किसी राजनीतिक साजिश में फंसाना चाहता था। असली प्रेम कहानी राजा और अनारकली के बीच थी।
विक्रम चौंक गया। उसने सोचा कि अगर यह सच है, तो अनारकली की भूतनी शायद अभी भी गुस्से में होगी। अचानक, कमरे में हवा का तापमान गिर गया। किताबों की अलमारी जोर से हिलने लगी। प्रोफेसर दयाल अपनी कुर्सी पर बेचैनी से करवटें लेने लगे।
एक ठंडी हवा का झोंका आया और विक्रम ने देखा कि प्रोफेसर दयाल के सामने हवा में अनारकली का भयानक रूप खड़ा है। उसके हाथ में वही लोहे का कंगन था, लेकिन इस बार उसकी आंखों में बदले की आग जल रही थी।
अनारकली की भूतनी गुस्से से बोली, “तुमने मेरा सच उजागर कर दिया है, लेकिन क्या तुम मेरा बदला भी दिलाओगे?“
विक्रम प्रोफेसर दयाल की चीख सुनकर स्तब्ध रह गया। हवेली वाली भूतनी की भयानक मूर्ति को देख उसके रोंगटे खड़े हो गए। कमरे में अंधेरा छा गया, सिर्फ अनारकली के गुस्से से जलती आंखें ही दिख रही थीं। हवा में ठंडी बिजली कौंधी और उसी तेजी से गायब हो गई। विक्रम ने प्रोफेसर दयाल को संभाला, जो बुरी तरह से सहमे हुए थे।
प्रोफेसर को होश आने पर उन्होंने बताया कि अनारकली की भूतनी ने उन्हें वजीर के महल का रास्ता दिखाया है। वहीं पर राजा और अनारकली के प्रेम के सबूत छिपे हो सकते थे। विक्रम जानता था कि यह करना खतरनाक था, पर अनारकली की आत्मा को शांति दिलाने और इतिहास को सच करने के लिए उन्हें जाना होगा।
कुछ दिनों की यात्रा के बाद विक्रम और प्रोफेसर दयाल वीरान पड़े वजीर के महल तक पहुंचे। महल जंगल में खोया हुआ था और हर तरफ अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था। अंदर का वातावरण धूल भरा और रहस्यमय था। गुप्त कमरों को खोजने में उन्हें कई दिन लग गए। आखिरकार, एक छिपे हुए तहखाने में उन्हें कई दस्तावेज मिले।
उन दस्तावेजों में राजा और अनारकली के बीच प्रेम पत्र, वजीर की साजिशों के सबूत और अनारकली को फंसाने की योजनाएं लिखी थीं। ये दस्तावेज अनमोल सबूत थे।
वापसी में उनकी राह आसान नहीं थी। वजीर की आत्मा को भनक लग चुकी थी कि कोई उसके रहस्य उजागर करने की कोशिश कर रहा है। रास्ते में उन पर कई बार हमले हुए। जंगली जानवरों के हमले का नाटक कर उनका पीछा किया गया और उनकी गाड़ी पर पत्थरों की बौछार हुई।
लेकिन विक्रम और प्रोफेसर दयाल ने हार नहीं मानी। उन्होंने राजधानी पहुंचकर राजा के वंशज को वो दस्तावेज सौंप दिए। सच सामने आया। वजीर के परिवार को उनके पद से हटा दिया गया और अनारकली को सच्ची प्रेमिका के रूप में सम्मान दिया गया।
उस रात, हवेली में एक बार फिर से ठंडी हवा का झोंका चला। इस बार हवा में शांति थी। विक्रम ने खिड़की से बाहर देखा। अनारकली का पारदर्शी रूप खड़ा था, लेकिन इस बार उसके चेहरे पर गुस्से के बजाय कृतज्ञता का भाव था। उसने विक्रम को धन्यवाद दिया और धीरे-धीरे हवा में विलीन हो गई। अब हवेली में शांति स्थायी रूप से छा गई थी।
Conclusion (निष्कर्ष)
अतीत के भूतों को शांति तभी मिलती है, जब सच सामने आता है। विक्रम की जिज्ञासा और प्रोफेसर दयाल के ज्ञान ने इतिहास के झूठ का पर्दाफाश किया और अनारकली को वह सम्मान दिलाया, जिसकी वो हकदार थी। हवेली का राज उजागर हुआ और उसके साथ ही शांति स्थापित हुई।
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