यदि आप अपना दिल और आत्मा लगाते है और कभी हार नहीं मानते तो चीजें आपके लिए काम करती हैं ।
~ Kalpana Saroj
Kalpana Saroj’s Biography | Networth | Lifestyle | Age | Hobbies | Daily Routine | Family Life & More
दोस्तों यह बायोग्राफी, कमानी ट्यूब्स की मालकिन कल्पना सरोज के जीवन पर आधारित एक सच्ची Motivational Biography है। कल्पना सरोज ने एक कपड़ा मिल में 2 रूपए कमाने से अपने करियर की शुरुआत की थी और एक दिन उन्होंने 2000 करोड़ रूपए की Kamani Tubes Company की बागड़ोर संभाली।
यह Kalpana Saroj Biography in Hindi आपके जीवन व सोचने के नजरिये को बदल सकती है और यदि आप एक महिला है, तो फिर यह Motivational Hindi Biography आपके लिए एक Life Changing Biography साबित हो सकती है।
आपको Kalpana Saroj की इस Success Story से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और आपको अपनी जिन्दगी के प्रति बहुत सारी मोटिवेशन व इंस्पिरेशन मिलेगी।
कमानी ट्यूब्स की मालकिन कल्पना सरोज का जीवन परिचय।

कल्पना सरोज के बारे में | Quick Bio Of Kalpana Saroj
नाम | कल्पना सरोज ( Kalpana Saroj ) |
---|---|
क्यों फेमस हैं ? | बिज़नस वीमेन & कमानी ट्यूब्स की सीईओ। |
नागरिकता – | भारतीय। |
जन्म स्थान – | 1961 में महाराष्ट्र के अकोला जिले के रोपरखेड़ा गांव में। |
निवास स्थान – | मुम्बई, महाराष्ट्र। |
पति ( Husband ) का नाम – | समीर सरोज ( Sameer Saroj ) |
बेटे ( Son ) का नाम – | समर सरोज ( Samar Saroj ) |
बेटी ( Daughter ) का नाम – | सीमा सरोज ( Seema Saroj ) |
कुल संपत्ति – | US$ 112 million ( 8.4 अरब रूपए लगभग ) |
सफलता की एक बेस्ट मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी।
हमारे समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो आधुनिक युग में भी लड़कियों को बोझ समझते हैं। आज लड़कियां किसी भी मामले में लड़कों से कम नहीं है और हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुकी है और खुद को साबित कर चुकी है, फिर चाहे फाइटर प्लेन उड़ाने की बात हो, देश की रक्षा की बात हो या फिर व्यवसाय करने की बात हो।
महिलाएँ आज किसी भी मामले में पुरुषों से पीछे नहीं है। आज जब भी कोई महिला अपने जुनून की हदों को पार करके, समाज की बंदिशों को तोड़कर कुछ नया करके दिखाती है तो महिलाओं के प्रति ऐसी छोटी सोच रखने वालों के मुंह पर तमाचा सा पड़ता है।
अपने इस ब्लॉग में मैं आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहा हूं जिन्होंने समाज की परंपरागत सोच से बाहर निकल कर काम किया। जो खुद कभी नौकरी की तलाश में दर-दर भटकती थी और ₹2 रोजाना की नौकरी करने के लिए उन्हें मजबूर होना पड़ा था और वही आज वे न केवल दो हजार करोड़ की कंपनी की मालकिन है, बल्कि हजारों लोगों को रोजगार भी दे रही है।
कल्पना सरोज का जन्म व आरम्भिक जीवन।

मैं बात कर रहा हूं कमानी ट्यूब्स की मालकिन कल्पना सरोज की। कल्पना सरोज का जन्म 1961 में महाराष्ट्र के अकोला जिले के रोपरखेड़ा गांव में एक बहुत ही गरीब दलित परिवार में हुआ था। इनका बचपन उपेक्षा व मुसीबतों में गुजरा।
इनका गांव बहुत ही पिछड़ा हुआ था और बिजली-पानी, अस्पताल जैसी कोई भी मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं थी। कल्पना सरोज बचपन में स्कूल से आने के बाद गोबर उठाने और लकड़िया चुनने चली जाती थी।
कल्पना सरोज की पारिवारिक पृष्ठ्भूमि।
कल्पना सरोज के पिता पुलिस में हवलदार थे। उन्हें मात्र ₹300 महीना वेतन मिलता था और ₹300 में पूरे परिवार का गुजारा चलता था। कल्पना के परिवार में उनके अलावा उनकी तीन बहने, दो भाई, दादा दादी, माता पिता और चाचा चाची भी साथ में ही रहते थे।
महज़ 12 साल की छोटी सी उम्र में हो गई कल्पना सरोज की शादी।
कल्पना सरोज बचपन में पढ़ने में बहुत होशियार थी और पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहती थी। लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था जब वे केवल 12 साल की थी और महज सातवीं कक्षा में पढ़ रही थी तो उनकी शादी उनसे 10 साल बड़े लड़के से कर दी गई और कल्पना सरोज को अपने गांव को छोड़कर मुंबई की झोपड़पट्टी में जाकर रहना पड़ा।
लेकिन शायद शादीशुदा जीवन उनके नसीब में नहीं था। ससुराल जाते ही हर काम की जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई थी। उनकी ससुराल में उनका 10-12 लोगों का भरा पूरा परिवार था। परिवार के इन 10-12 लोगों का खाना बनाना, कपड़ें धोना और अन्य घरेलू काम भी कल्पना को ही करने पड़ते थे।
छोटी – छोटी गलतियों के लिए भी उनसे मारपीट की जाती थी जैसे कि खाने में नमक कम ज्यादा हो जाए या फिर रोटी जल जाए। लगभग हर दिन उन्हें किसी न किसी बहाने गालियां व मार खाने को मिल ही जाती थी।
बारह साल की छोटी सी उम्र में संभाला 10-11 लोगों का भरा पूरा परिवार।
जबकि 12 साल की छोटी सी उम्र में जब बच्चे खिलौनों से खेलते हैं, उस उम्र में इतने बड़े परिवार को संभालना बहुत बड़ी बात है और इस दौरान छोटी मोटी गलती होना भी लाजमी है।
लगभग 6 महीनों तक ऐसे ही चलता रहा और 6 महीने बाद जब कल्पना के पिता उनसे मिलने गए तो कल्पना उनसे लिपट कर रोने लगी। जब उनके पिता को कल्पना के साथ हुए दूर्रव्यवहार का पता चला तो उनके पिता ने कल्पना को अपने साथ ले जाने का फैसला कर लिया।
समाज के ताने सुनकर कल्पना सरोज ने की आत्महत्या की कोशिश।
कल्पना सरोज के घर आने के बाद उनके पिता ने उनका दाखिला दोबारा से स्कूल में करवा दिया। लेकिन यहां भी कल्पना की मुसीबतें कम नहीं हुई और यहां भी उन्हें ताने मारे जाते और बुरी नजर से देखा जाता था। हमारे समाज की एक विडंबना है कि यदि लड़की किसी कारण से अपने ससुराल को छोड़कर अपने मायके आकर रहने लगे तो लोग बिना कुछ सोचे समझे लड़की को ही दोषी मानने लगते हैं और उसके चरित्र पर भी सवाल उठाने लगते हैं।
समाज का यही रूप कल्पना को भी देखना पड़ा। अब उसका पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था। हर समय खोई खोई सी रहती थी। इन्हीं हालातों के चलते उन्होंने एक दिन जहर पीकर आत्महत्या करने की सोच ली और वे जब एक बार अपनी बुआ के घर गई हुई थी तो कहीं से 3 शीशी जहर लाकर पी लिया। जब उनकी तबीयत खराब हुई तो उनकी बुआ उन्हें अस्पताल लेकर गई। उनकी इस हालत को देखकर डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया। उनका बचना लगभग नामुमकिन लग रहा था। लेकिन शायद भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। 24 घंटे बाद उन्हें होश आ गया और वे बच गई।
कल्पना सरोज को मिली जीवन की एक नई दिशा।

सभी परिवार और रिश्तेदार उनसे मिलने के लिए अस्पताल में आ रहे थे। उनके पापा के साथ नौकरी करने वाला एक व्यक्ति उनके बारे में यह खबर सुनकर कल्पना के पापा के साथ अस्पताल में कल्पना से मिलने आया। उस व्यक्ति ने कल्पना सरोज से कहा कि ” ऐ लड़की यह क्या कर रही थी। अगर तुम मर जाती तो सभी तुम्हें ही गलत समझते। तुम्हारे मां-बाप को ताने मारते।”
उस व्यक्ति की यह बातें सुनकर कल्पना को लगा की जैसे किसी ने उसे नींद में से झकझोर कर उठा दिया। उनकी यह बातें कल्पना के दिल पर तीर की तरह लगी और कल्पना सरोज सोचने को मजबूर हो गई। उन्होंने महसूस किया की यह बात तो सही है, “अगर मैं आज मर जाती तो सभी यही कहते की जरूर इस लड़की ने ही कुछ ऐसा ग़लत किया होगा जिसकी वजह से इसने आत्महत्या करनी पड़ी और सभी मेरे माता पिता को ही ताने मारते। “
कल्पना को अब समझ आ गया था की “मरना हर समस्या का समाधान नहीं है और जब व्यक्ति कुछ करके मरने को तैयार हो जाता है तो वही व्यक्ति कुछ ऐसा भी तो कर सकता है जो उसके जीने का कारण बने।” यही से कल्पना को एक नई दिशा मिली और उसी समय कल्पना सरोज ने अपने खुद से यह वादा किया कि अब मुझे जीवन में कुछ करके दिखाना है, कुछ बन के दिखाना है। शायद जिंदगी ने उन्हें दूसरा मौका इसीलिए दिया है और उन्हें इस मौके को व्यर्थ नहीं गंवाना है।
कल्पना सरोज के संघर्ष के सफर की शुरुआत।
यहीं से शुरूआत होती है उनके संघर्ष की कहानी। लेकिन यह संघर्ष ऐसा था जिसमें आगे चलकर उन्हें अभी बहुत कुछ देखना बाकि था। कल्पना ने कपड़े सिलाई का काम सीखा हुआ था। वह चाहती थी कि मुंबई जाकर वह किसी फैक्ट्री में कपड़े सिलाई का काम करें।
कल्पना सरोज ने इसके लिए अपने माता-पिता को मनाया और वह अपने चाचा के पास मुंबई चली गई। उनके चाचा ने एक कपड़ा मिल में बात करके कल्पना को वहां नौकरी दिलवा दी। नौकरी मिलने पर कल्पना बहुत खुश हुई। उन्हें अपने काम के बदले रोजाना ₹2 और महीने का ₹60 मिलते थे।
धीरे-धीरे जब वे सिलाई के काम में माहिर हो गई तो उन्हें सवा दो सौ रुपए महीना मिलने लगे। अब गांव से मां-बाप व भाई-बहन आकर भी उनके पास ही रहने लगे थे। उन्हें लग रहा था कि शायद अब सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन मुसीबत तो घूम फिर कर उन्ही के दरवाजे पर आकर रुकती थी।
दरअसल उनकी एक बहन बीमार रहने लगी थी और उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वे उसका इलाज किसी अच्छे अस्पताल में करवा पाती। इलाज ना हो पाने की वजह से उनकी बहन की एक दिन मृत्यु हो गई। तब उन्होंने महसूस किया कि गरीब होना भी एक बहुत बड़ी बीमारी है।
अब वे इस बीमारी से निजात पाना चाहती थी। अब वे जिंदगी में पैसा कमाना चाहती थी। शुरुआत में उन्होंने घर पर ही सिलाई की मशीनें लगाई। फैक्ट्री से काम करके आने के बाद भी वे घर पर भी काम करती थी। वे दिन में 16-16 घंटे काम करने लगी।
लेकिन इतनी मेहनत के बाद भी वे ज्यादा नहीं कमा पाती थी। अब उन्होंने बिजनेस करने की सोची। वे अपना खुद का बुटीक खोलना चाहती थी। इसके लिए उन्हें ₹50000 की जरूरत थी लेकिन उनके पास इतने पैसे कहां थे। उन्होंने एक सरकारी योजना का पता चला जिसके तहत कोई व्यक्ति अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए लोन ले सकता था।
कल्पना सरोज को लोन तक नहीं मिल पाया बैंक से।
कल्पना सरोज ने इस लोन के लिए आवेदन कर दिया। लेकिन सरकारी लोन मिलना इतना आसान कहां होता है। उनके लोन की अर्जी को नामंजूर कर दिया गया। कुछ समय बाद उन्हें पता चला कि एक व्यक्ति उन्हें लोन दिलवा सकता है। जब कल्पना सरोज उनसे जाकर मिली तो उन्हें पता चला कि पचास हजार रूपए के लोन के लिए दस हजार रुपए तो रिश्वत के रूप में ही देने पड़ेंगे, तो उन्होंने उस व्यक्ति को मना कर दिया।
लेकिन बिजनेस करने कि उनकी इच्छा अभी शांत नहीं हुई थी। उन्होंने दोबारा से लोन के लिए आवेदन किया। सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटे और इसके लिए उन्हें कई अधिकारियों के पास जाकर गुहार भी लगाई और आखिरकार उन्हें लोन मिल गया। इन पैसों से उन्होंने एक ब्यूटी पार्लर खोला और साथ ही उन्होंने एक फर्नीचर का बिजनेस भी शुरू कर दिया।
किया सुशिक्षित बेरोजगार युवा संगठन का निर्माण।

लोन लेने के अपने इस सफर के दौरान उन्होंने महसूस किया कि जो भी बेरोजगार युवक युवतियां अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं और इसके लिए सरकार से मदद के रूप में लोन लेने की सोचते हैं तो उन्हें कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ता होगा।
इस सोच से प्रेरित होकर ही कल्पना सरोज ने एक ‘ सुशिक्षित बेरोजगार युवा संगठन ‘ बनाया। यह संगठन उन सभी युवक-युवतियों को बिना एक पैसा भी रिश्वत दिए लोन मुहैय्या कराता था, जो अपना खुद का व्यवसाय करना चाहते थे। यह संगठन धीरे-धीरे काफी मशहूर हो गया। इसने बहुत से युवक-युवतियों को लोन दिलवाया। इस संगठन के कारण अब लोग कल्पना जी को जानने भी लगे थे।
22 साल की उम्र में कल्पना ने की दूसरी शादी।
ब्यूटी पार्लर व फर्नीचर के बिजनेस से अब उनके हालात थोड़े थोड़े बदलने लगे थे। अब थोड़े बहुत पैसे भी उनके पास रहने लगे थे। 1980 में, घरवालों के कहने पर उन्होंने 22 साल की उम्र में समीर सरोज से दोबारा शादी की, जिनके साथ उनका एक बेटा, अमर सरोज (1985) और एक बेटी सीमा सरोज (1987) है। लेकिन शायद वैवाहिक जीवन का सुख उनके जीवन में था ही नहीं और शादी के कुछ साल बाद ही उनके दूसरे पति की मृत्यु हो गई।

कल्पना सरोज को मिली हार में छिपी जीत।
कल्पना सरोज जी ने एक बार एक जमीन का टुकड़ा खरीदा, जो उन्हें बहुत सस्ते में मिल गया था। वे इस जमीन के टुकड़े पर खुद का कोई व्यवसाय करना चाहती थी। लेकिन बाद में उन्हें मालूम हुआ कि वह जमीन तो विवादों से घिरी हुई थी। शुरू में तो कल्पना जी को यह जानकर बड़ी निराशा हुई।
लेकिन बाद में उन्होंने सोचा कि वे इस जमीन को कोर्ट में लड़कर हासिल करेगी। लगभग दो-तीन साल तक इस जमीन से संबंधित कोर्ट में केस चलता रहा और इसके बाद कोर्ट का फैसला कल्पना जी के ही हक में आया।
कल्पना सरोज ने किया लोकल गुंडों का डटकर सामना।
वे इस जमीन की इकलौती मालकिन थी। इस जमीन के दाम भी अब तब तक लाखों में पहुंच गए थे। जब यहां के लोकल गुंडों को इस बात का पता चला तो वे कल्पना जी को जमीन खाली करने की धमकियां देने लगे। इसके बाद कल्पना जी वहां के पुलिस कमिश्नर से मिली। कमिश्नर साहब ने उन्हें पुलिस प्रोटेक्शन लेने की सलाह दी।
लेकिन कल्पना जी ने इसके लिए साफ मना कर दिया। और कमिश्नर साहब से बोली कि अगर आप मेरी मदद ही करना चाहते हैं तो मुझे एक रिवाल्वर का लाइसेंस दे दीजिए। मैं अपनी रक्षा खुद कर लूंगी और इस तरह उन्हें रिवाल्वर का लाइसेंस मिल गया।
अगली बार जब उन गुंडों का धमकी भरा फोन आया तो कल्पना जी ने बिना डरे साफ-साफ बोल दिया कि ” अगर मुझे मारने की कोशिश की तो यह जान लेना कि मेरे रिवाल्वर में छह गोलियां हैं और छटी गोली खत्म होने के बाद ही तुम मुझे मार पाओगे “। इसके बाद कभी दोबारा उन गुंडों का फोन नहीं आया।
इसके बाद कल्पना जी ने एक सिंधी बिजनेसमैन से पार्टनरशिप कर ली और अपनी इस पार्टनरशिप के तहत उन्होंने अपनी इस जमीन पर बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का काम शुरू कर दिया। अपनी इस पार्टनरशिप के तहत उन्होंने करोड़ों रुपए कमाए।
कल्पना सरोज के कमानी ट्यूब्स की मालकिन बनने का सफ़र।

अब शायद वो कामयाब कहलवाने की हकदार हो गई थी। लेकिन असली कामयाबी मिलना अभी बाकी था और उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट उनसे बस एक कदम की दूरी पर था जो कमानी ट्यूब्स की मालकिन बनने के रूप में उनकी जिंदगी में आने वाला था।
कमानी ट्यूब्स कंपनी ( Kamani Tubes ) की शुरुआत 1960 में मिस्टर एन आर कमानी द्वारा की गई थी। कई सालों तक कंपनी ने बहुत अच्छा काम किया। लेकिन 1985 में कंपनी के प्रबंधकों व कंपनी वर्कर्स के बीच में कुछ विवाद खड़ा हो गया। विवाद इतना बढ़ गया था की कंपनी को बंद करने की नौबत आ गई। लेकिन 1988 में सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के वर्कर्स के हित में फैसला सुनाते हुए वर्कर्स को कंपनी का मालिक बना दिया और कंपनी वर्कर्स को कंपनी चलाने का आदेश दे दिया। प्रॉपर मैनेजमेंट ना होने की वजह से वर्कर्स कंपनी को नहीं चला पाए और कंपनी पर करोड़ों रुपए का कर्ज हो गया।
3500 वर्कर्स की समस्या का किया समाधान।
सन 2000 में अपने बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन वर्क बिजनेस के कारण कल्पना जी को लोग जानने लगे थे और उन्हें सभी एक अच्छा बिजनेस मैन समझते थे। उनके बारे में सुनकर सभी कंपनी वर्कर्स उनसे मिलने के लिए गए और उनसे मदद की गुहार लगाई और कंपनी का मैनेजमेंट संभालने के लिए कहा।
शुरू में तो कल्पना जी ने उन से मना कर दिया लेकिन बाद में जब उन्हें पता चला कि कंपनी के इन हालातों से कंपनी के लगभग 3500 वर्कर्स गरीबी से जूझ रहे हैं और उनके बच्चे भूख से मर रहे हैं, तो वे इसके लिए मान गई। क्योंकि उन्होंने गरीबी का दर्द झेला हुआ था।
कल्पना जी कमानी ट्यूब्स के बोर्ड सदस्य के रूप में शामिल हो गई और उन्होंने 10 लोगों की एक बेहतरीन टीम बनाई। इस टीम ने कंपनी की एक वितिय रिपोर्ट तैयार की। उन्हें पता चला कि कंपनी पर लगभग 115 करोड का कर्ज है और ज्यादातर कर्ज पेनल्टी और ब्याज के रूप में है।
इसके लिए कल्पना जी वित्त मंत्री जी से मिली और उन्होंने मंत्री जी से पेनल्टी माफ करने की अपील की। मंत्री जी के आदेश पर सभी बैंकों द्वारा ( जिन बैंकों से कर्जा लिया गया था ) पेनल्टी व ब्याज की रकम को माफ कर दिया गया और इसके साथ-साथ मूलधन का भी 20% हिस्सा माफ कर दिया गया। बाकी पैसा चुकाने के लिए कमानी ट्यूब को 7 साल का समय दिया गया।
कमानी ट्यूब के वर्कर्स में छाई ख़ुशी की लहर।
इस बात से कंपनी वर्कर्स में खुशी की लहर छा गई। अब सभी वर्कर्स मिलकर ज्यादा लगन और ज्यादा मेहनत से काम करने लगे थे। सब की मेहनत व लगन रंग लाई। कंपनी को मुनाफा हुआ और कंपनी ने सभी बैंकों का बकाया पैसा एक साल में ही लौटा दिया और इसके साथ ही सभी वर्कर्स का तीन साल से रुका हुआ वेतन भी दे दिया गया।
कुछ समय बाद जब कोर्ट को लगा कि कल्पना जी कंपनी को सही से संभाल रही है और अच्छे से प्रबंधन कर रही है, तो कोर्ट ने उन्हें कंपनी का मालिक बना दिया। कल्पना जी के नेतृत्व मे कंपनी में लगातार नई ऊंचाइयों को छुआ और इसके बाद उन्होंने खुद भी कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
कल्पना सरोज को मिली एक सफल उद्यमी के रूप में पहचान।

अब कल्पना जी एक सफल उद्यमी के रूप में पहचान बना चुकी थी। कामयाबी के इस सफर में उन्होंने बहुत से सम्मान भी हासिल किए। 2013 में कल्पना सरोज जी को पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया और इसके साथ ही उन्हें भारतीय महिला बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में भी शामिल किया गया।
कल्पना सरोज के संघर्ष की इस मोटिवेशनल कहानी से आपने क्या सीखा ?
कभी ₹2 रोजाना कमाने वाली एक लड़की आज बिजनेस वर्ल्ड की एक जानी-मानी हस्ती है और दो हजार करोड़ की कंपनी की मालकिन है। यह उनकी मेहनत और लगन का फल है। जीवन में इतनी मुश्किलों के आने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और उन्होंने हर मुश्किल का डटकर सामना किया।
वास्तव में सफलता की यही सच्चाई है कि यह मुश्किलों के पीछे छिपकर आती है। जो इन मुश्किलों से लड़कर उसके पीछे छिपी सफलता को हासिल कर लेता है, वह कामयाब हो जाता है। लेकिन जो शुरू में ही इन मुश्किलों से डरकर हार मान कर बैठ जाता है। वह जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता।
कल्पना सरोज मोटिवेशनल स्पीच | Kalpana Saroj Speech In Hindi
इनके बारे में भी पढ़ें -:
- रितेश अग्रवाल की जीवनी | Ritesh Agarwal Biography In Hindi
- सादिओ माने की जीवनी | Sadio Mane Life Story In Hindi
- वारेन बफ़ेट की प्रेरणादायक जीवनी | Warren Buffett Biography In Hindi
हम उम्मीद करते हैं की आपको यह ब्लॉग बहुत अच्छा लगा होगा। अगर आपको यह ब्लॉग पसंद आया हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं, ताकि हम आपके लिए इसी तरह की मोटिवेशनल जानकारी लाते रहे। इसके अलावा आप इस ब्लॉग को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।
ताकि जो लोग जीवन में कुछ करना चाहते हैं, कुछ बनना चाहते हैं। लेकिन जीवन की परेशानियों के कारण, उन्होंने हार मान ली है। तो वे लोग इस ब्लॉग ‘Kalpana Saroj Biography in Hindi‘ से प्रेरित हो सकें।
इसी तरह की और मोटिवेशनल जानकारी के लिए हमें फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और टेलीग्राम पर फॉलो करें।
Related Tags –
Kalpana Saroj Biography In Hindi, Kalpana Saroj Motivational Biography In Hindi, Kalpana Saroj Life Changing Biography In Hindi, Kalpana Saroj Jeevan Parichay In Hindi, Kalpana Saroj Life Story In Hindi, Kalpana Saroj Jeevani In Hindi, Kalpana Saroj Life History In Hindi, Kalpana Saroj Lifestyle, Kalpana Saroj Networth, Kalpana Saroj Family, Kalpana Saroj Education, Kalpana Saroj, Kalpana Saroj Success Story, Kalpana Saroj Interview, Kalpana Saroj House, Kalpana Saroj Story In Hindi, Kalpana Saroj Business, Kalpana Saroj Biography, Kalpana Saroj Biography In Hindi, Kalpana Saroj Speech, Kalpana Saroj Company, Kalpana Saroj Company Name, Kalpana, Kalpana Saroj Story, Kalpana Saroj Hindi, Kalpna Saroj, Kalpana Saroj Ki Kahani, Kalpana Saroj Net Worth, Kalpana Saroj Ki Company, Kalpana Saroj Life Story, Kalpana Saroj Youtube Shorts
Image Credit-: