“असफलता मुझे कभी नहीं पछाड़ेगी यदि सफल होने का मेरा दृढ़ संकल्प काफी मजबूत है।”
— – Og Mandino
महज़ 3 फ़ीट 6 इंच की आईएएस ऑफ़िसर आरती डोगरा के जीवन पर आधारित यह Arti Dogra IAS Success story in Hindi आपके जीवन व सोचने के नजरिये को बदल सकती है। यदि आप एक महिला है, तो फिर यह IAS Success story आपके लिए एक Life Changing Story साबित हो सकती है।
इस Arti Dogra Hindi Biography में आप जानेंगे की महज़ 3 फ़ीट 6 इंच की एक लड़की समाज की उपेक्षा सह कर कैसे एक आईएएस ऑफिसर बनी। आपको Arti Dogra की इस Real life IAS Success Story से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और आप अपनी जिन्दगी के प्रति Motivate व inspire हो जाओगे।
महज़ 3 फ़ीट 6 इंच की आईएएस ऑफ़िसर आरती डोगरा की जीवनी

Arti Dogra IAS Success tory in Hindi
आरती डोगरा के बारे में | About Aarti Dogra
Quick Bio Of Arti Dogra |
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Aarti Dogra IAS Rank – 56 वीं ( 2005 ) |
Aarti Dogra Height – 3 फ़ीट 6 इंच। |
Aarti Dogra Age – 41 साल। |
Aarti Dogra Date Of Birth – जुलाई 1979 |
Arti Dogra Education – इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन। |
Arti Dogra IAS Current Posting – जनवरी 2019 से राजस्थान के मुख्यमंत्री की विशेष सचिव। |
Arti Dogra First IAS Posting – उदयपुर की एडीएम के रूप में। |
Aarti Dogra Husband Name – अविवाहित। |
IAS Full Form – Indian Administrative Service |
IAS in Hindi – भारतीय प्रशासनिक सेवा |
IAS Officer की हाइट कितनी होनी चाहिए – ऊंचाई: पुरुषों के लिए 165 सेमी की न्यूनतम ऊंचाई और महिलाओं के लिए 150 सेमी। अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों और गोरखाओं, गढ़वालियों, असमिया, कुमाऊँ, नागालैंड आदिवासियों, आदि के मामले में पुरुषों और महिलाओं के लिए न्यूनतम ऊंचाई क्रमशः 160 और 145 सेंटीमीटर की है। |
अपने कद से कई गुना ऊँचा है आरती डोगरा का रुतबा।

सफलता ना ही रंग देखती है, ना ही रूप और ना ही कद। इसे वह हर व्यक्ति हासिल कर सकता है, जो इसके लिए मेहनत करता है। बस आपको खुद को साबित करने की जरूरत है और जब आप ऐसा कर लेते हैं तो सफलता आपके कदम चूमती है।
मेरे इस ब्लॉग में मैं आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहा हूं, जिन्होंने अपने शारीरिक कद को मात दी और जीवन में एक बहुत ऊंचा मुकाम हासिल किया। यह मुकाम उनके कद से सैकड़ों गुना बड़ा था।
मैं बात कर रहा हूं राजस्थान कैडर की 2006 बैच की आईएएस ऑफिसर आरती डोगरा के बारे में। इनका कद महज 3 फुट 6 इंच है, लेकिन इन्होंने अपने कद को अपनी सफलता के रास्ते में कभी बाधा नहीं बनने दिया। बल्कि जब उन्हें अपने क़द को लेकर ताने सुनने को मिलते थे तो उनकी जीवन में कुछ करने, कुछ बनने की ललक और बढ़ जाती थी।
आरती डोगरा सोचती थी कि दुनिया के इन तानों का जवाब वे जिंदगी में कुछ बन कर देगी। आज वे एक कुशल व ईमानदार आईएएस ऑफिसर है। आज जब 6-6 फुट के पुलिस के जवान उनकी सुरक्षा के लिए उनके पीछे पीछे चलते हैं और आरती डोगरा बीच में शेरनी की तरह सीना तान कर चलती है तो उनका रुतबा देखने लायक होता है।
आरती डोगरा का जन्म व आरती के माता पिता।
आरती डोगरा का जन्म उत्तराखंड के देहरादून में हुआ था। आरती के पिता राजेंद्र डोगरा सेना में अफसर थे और उनकी मां एक स्कूल प्रिंसिपल। आरती डोगरा अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। जब आरती का जन्म हुआ था तो उसकी शारीरिक बनावट दूसरे बच्चों जैसी नहीं थी।
आरती के पैदा होने पर डॉक्टर्स ने आरती के माता-पिता को कहा था कि यह बच्ची सामान्य जीवन नहीं जी पाएगी। यहां तक कि डॉक्टरों ने आरती के माता पिता को दूसरी संतान पैदा करने की सलाह भी दी थी। लेकिन आरती के माता-पिता ने कहा था कि हमारी बच्ची जैसी भी है हम इसी हालात में इसका पालन-पोषण करेंगे, हमें दूसरे बच्चे की जरूरत नहीं है।
आरती डोगरा की शिक्षा व आईएएस ऑफिसर बनने का सफर।

आरती की आरंभिक शिक्षा देहरादून से ही हुई है। इसके बाद स्नातक के लिए वे दिल्ली आ गई, जहां उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज फॉर वुमेन से इकोनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए वे वापिस देहरादून चली गई।
देहरादून में उनकी मुलाकात देहरादून की डीएम मनीषा पंवार से हुई और आरती उनसे इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने भी आईएएस ऑफिसर बनने की ठान ली। यहीं से आरती के आईएएस ऑफिसर बनने का सफर शुरू हो गया।
उनके इस फैसले के लिए उनके माता-पिता ने भी आरती को प्रोत्साहित किया। फिर क्या था आरती ने दिन-रात मेहनत कि। वे 1 दिन में 15-15 घंटे पढ़ती थी। हर समय उनके दिमाग में आईएएस बनने की धुन सवार रहती थी।
आईएएस बनने के सफर में आरती डोगरा की मुलाकात कुछ ऐसे लोगों से भी हुई जो यह कहने वाले थे कि आईएएस की परीक्षा बहुत कठिन होती है, यह सबके बस की बात नहीं है। कुछ लोगों ने तो उनके कद को लेकर भी उनके हौसलों को तोड़ना चाहा। लेकिन आरती कहां मानने वाली थी। उन्होंने तो आईएएस बनने की रट लगा रखी थी।
हुआ भी यही 2005 में आईएएस परीक्षा का रिजल्ट आया जिसमें आरती ने 56 वी रैंक हासिल की और आरती डोगरा का चयन आईएएस ऑफिसर के रूप में हो चुका था। यह उनका पहला ही प्रयास था और अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने यह सफलता हासिल कर ली थी। आरती ने यह साबित कर दिया कि-:
” मंजिल उन्हीं को मिलती है.
जिनके सपनों में जान होती है।
सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता,
हौसलों से उड़ान होती है “
आरती डोगरा के आईएएस ऑफिसर बनने के बाद का सफ़र।
आरती डोगरा की आईएएस की ट्रेनिंग देहरादून में ही लाल बहादुर शास्त्री आईएएस अकैडमी में हुई और यहां से शुरू हुआ उनके प्रशासनिक जीवन का सफर। आरती को राजस्थान कैडर मिला।
2006-07 में अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद आरती की पहली नियुक्ति उदयपुर के एडीएम के रूप में हुई थी। कुछ समय के लिए उन्होंने अलवर व अजमेर में एसडीएम के रूप में भी कार्य किया है। आरती की पहली बार जिला कलेक्टर के रूप में नियुक्ति बूंदी के जिला कलेक्टर के रूप में 2010 में हुई।
इसके बाद उन्होंने बीकानेर व अजमेर के जिला कलेक्टर के रूप में भी कार्य किया। वे कुछ समय के लिए जोधपुर डिस्कॉम की प्रबंध निदेशक भी रह चुकी हैं। इसके बाद उन्हें 2018 में मुख्यमंत्री के संयुक्त सचिव पद पर नियुक्त किया। जनवरी 2019 से वे राजस्थान के मुख्यमंत्री के विशेष सचिव के रूप में कार्य कर रही हैं।
अपने अभी तक के कार्यकाल के दौरान आरती बीकानेर, अजमेर, बूंदी तथा जोधपुर आदि जिलों में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं।
आरती डोगरा का प्रशासनिक जीवन।

अपने अब तक के कार्यकाल में आरती डोगरा बहुत सारी ऐसी योजनाओं पर कार्य कर चुकी है, जिनके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय तक ने उनकी तारीफ की है। अप्रैल 2013 में जब वे बीकानेर की डीएम के रूप में कार्य कर रही थी तो उन्होंने बीकानेर जिले में खुले में शौच से मुक्ति के लिए “बंको बीकाणो” नामक अभियान की शुरुआत की थी।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों को खुले में शौच ना करने के लिए प्रेरित करना था। इस अभियान के लिए उनकी काफी सराहना की गई थी। “बंको बीकाणो” अभियान के कुशलतापूर्वक क्रियान्वयन के कारण ही बीकानेर देश का पहला ऐसा जिला बना जहां पक्के शौचालयों की मॉनिटरिंग मोबाइल सॉफ्टवेयर के माध्यम से की जाती थी। बाद में आरती डोगरा के इस मॉडल से प्रेरित होकर अन्य जिलों के जिला कलेक्टर ने भी अपने जिलों में इस मॉडल को लागू किया।
इसके अलावा आरती के “मिशन अगेंस्ट एनीमिया” व “डॉक्टर्स फॉर डॉटर्स” अभियान की भी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना की गई थी। बीकानेर में कार्य करते हुए उन्होंने अनाथ लड़कियों के लिए भी काफी कार्य किए हैं। उनकी इन उपलब्धियों के कारण ही आरती डोगरा को राष्ट्रीय व राज्य स्तर के कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम भी उनके इन कार्यों की तारीफ कर चुके हैं।

IAS Arti Dogra की Success story in Hindi से आपने क्या सीखा ?
आरती डोगरा ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर यह साबित कर दिया कि व्यक्ति की शारीरिक बनावट कोई मायने नहीं रखती। अपने छोटे कद के कारण बचपन से ही ताने सुनने वाली एक लड़की आई ए एस ऑफिसर बनती है और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाती है। जो व्यक्ति बचपन से ही लोगों के ताने खा कर बड़ा हुआ हो और वह भी एक लड़की तो उसकी मानसिक हालत को हम समझ सकते हैं।
लेकिन आरती डोगरा ने अपने कद को अपनी सफलता के रास्ते में कभी आड़े नहीं आने दिया और अपनी मेहनत और हौसलों के दम पर अपनी मंजिल को हासिल किया। जबकि दूसरी तरह हम लोग जो अगर चेहरे पर एक पिंपल्स निकल जाए तो 10 दिन तक घर से बाहर नहीं निकलते और अपने चेहरे को छुपाते फिरते हैं। दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग हैं जो ऐसा कर पाते हैं और कहते भी हैं कि ” जिस पर जग हंसा है उसी ने इतिहास रचा है “।
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बहुत ही प्रेरणादायक जीवनी है। अपने इस जीवनी को बहुत ही अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है। अपने सही कहा की दुनिया में बहुत कम लोग है जो ऐसा कर पाते है। शायद इसीलिए दुनिया में बहुत कम लोग ऐसे है जो सफ़ल है। क्योंकि जो मेहनत करते हैं वो एक न एक दिन सफ़ल हो ही जाते है।
बहुत अच्छी जीवनी है जिसे पढ़कर लोग अंदर से प्रेरित होंगे सही कहा है हर कोई कामयाब होना चाहता है पर कामयाबी चाहने से नहीं मेहनत करने से मिलती हैं.