मैं हैरान भी हूं और खुश भी। सुदूर मयूरभंज जिले की एक आदिवासी महिला के रूप में, मैंने शीर्ष पद के लिए उम्मीदवार बनने के बारे में कभी भी नहीं सोचा था।”
— द्रौपदी मुर्मू
Draupadi Murmu’s Biography | Networth | Lifestyle | Age | Hobbies | Daily Routine | Family Life & More
राष्ट्रपति चुनाव 2022 की घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी कि राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में सुर्खियों में आई झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू एक प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। द्रोपदी मुर्मू के इस जीवन परिचय | Biography of Draupadi Murmu in Hindi में हम उनके जन्म, परिवार, शिक्षा और सामाजिक – राजनीतिक जीवन के बारे में विस्तार से जानेंगे।
द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय | Biography of Draupadi Murmu in Hindi

Draupadi Murmu Quick Bio |
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Full Name – Draupadi Murmu |
जन्म तिथि – 20 जून 1958 (आयु 64) |
जन्म स्थान – बैदापोसी गांव, मयूरभंज, ओडिशा |
Party Name – Bharatiya Janta Party |
शिक्षा – स्नातक |
व्यवसाय – शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ, |
पिता का नाम – बिरंची नारायण टुडू |
माता का नाम – ज्ञात नहीं है |
Spouse’s Name – Late Shyam Charan Murmu |
जीवनसाथी का व्यवसाय – बैंक कर्मचारी |
बच्चे – 2 पुत्र 1 पुत्री |
धर्म – हिन्दू |
जाति – संथाल |
स्थाई पता – बैदापोसी, वार्ड नंबर-2, पी.ओ.-रायरंगपुर, जिला-मयूरभंज |
संपर्क नंबर +91 651 2283469 |
ईमेल – jhrgov@jhr.nic.in |
Facebook – www.facebook.com/DraupadiMurmu |
Twitter – https://twitter.com/@draupadimurmu22 |
द्रोपदी मुर्मू कौन है | Who is Draupadi Murmu?
उड़ीसा की संथाल जनजाति से संबंध रखने वाली द्रोपदी मुर्मू एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी की सदस्य है। वे 2015 से 2021 तक झारखंड के 9वें राज्यपाल के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। इसके अलावा भाजपा के नेतृत्व वाली नेशनल डेमोक्रेटिक एलाइंस ( NDA ) ने 2022 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरी द्रोपदी मुर्मू जी ने 64% वोट प्राप्त करके देश की 15वीं राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया। देश की प्रथम नागरिक और सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली वह पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगे।
द्रौपदी मुर्मू का आरंभिक जीवन | Early life of Draupadi Murmu
द्रौपदी मुर्मू का जन्म भारत के उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिले के एक छोटे से गांव ऊपरबेड़ा में एक पिछड़ी जनजाति में 20 जून 1958 को हुआ था। इनके पिता बिरंचि नारायण टूडू एक संथाली आदिवासी जनजाति से संबंध रखते हैं।
द्रौपदी मुर्मू का पारिवारिक जीवन | Draupadi Murmu’s family life
द्रोपति मुर्मू के पिता व दादा जी दोनों ही पंचायती राज व्यवस्था के तहत गांव के प्रधान रह चुके हैं, इसीलिए द्रोपदी मुर्मू ने राजनैतिक गुण अपने बचपन में ही सीख लिए थे। छोटी उम्र में ही द्रोपदी मुर्मू की शादी उड़ीसा के ही एक बैंकर श्याम चरण मुर्मू से हो गई थी।
दांपत्य जीवन हंसी खुशी बीत रहा था। शादी के बाद दंपत्ति जोड़ी के 3 बच्चे हुए, दो लड़के और एक लड़की। लेकिन शायद भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। अचानक से उनके दोनों बेटों में से एक लक्ष्मण मुर्मू की 2009 में मृत्यु हो गई, जबकि दूसरा बेटा भी 2013 में यह दुनिया छोड़ कर चला गया।
अब बस औलाद के रूप में उनकी एक बेटी इतिश्री मुर्मू ही बची थी। इनके पति श्याम चरण मुर्मू अपने बच्चों कि असमय मौत के दुख को सहन नहीं कर पाए और बहुत ज्यादा बीमार रहने लगे। परिणामस्वरूप अधिक बीमार होने के कारण 2014 में वह भी अकाल मृत्यु के शिकार हो गए। इस तरह से द्रौपदी मुर्मू का पारिवारिक जीवन बहुत ही दुख और पीड़ा में गुजरा।
द्रोपदी मुर्मू की शैक्षिक योग्यता | Education of Draupadi Murmu

बचपन से ही राजनीतिक माहौल में पली-बढ़ी द्रौपदी मुर्मू ने बहुत छोटी उम्र में ही यह ठान लिया था कि उन्हें पढ़ लिख कर एक बड़ा आदमी बनना है। इसलिए शिक्षा की अहमियत को उन्होंने बचपन में ही जान लिया था।
द्रौपदी मुर्मू ने अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई अपने गांव ऊपरबेड़ा के ही के. बी. एच. स्कूल से पूरी की तथा अपनी स्नातक की पढ़ाई उन्होंने भुवनेश्वर ( उड़ीसा ) के रमा देवी महिला कॉलेज से पूरी कि।
अपने स्कूल कॉलेज के दिनों में वह पढ़ने में बहुत ही रुचि लेती थी। वह एक बहुत ही प्रतिभा संपन्न बच्ची थी। सभी अध्यापक उनके ज्ञान और लगन की प्रशंसा करते थे।
द्रौपदी मुर्मू का टीचिंग करियर।
द्रोपदी मुर्मू जी ने अपने कैरियर की शुरुआत एक स्कूल टीचर के रूप में की थी। राजनीति में आने से पहले वे रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्य करती थी। इसके अलावा उन्होंने कुछ समय तक उड़ीसा सरकार के सिंचाई विभाग में एक जूनियर सहायक के रूप में भी काम किया था।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक कैरियर।
इसके अलावा उन्होंने झारखंड की राज्यपाल बनने तक निम्न राजनीतिक पदों पर कार्य किया।
- साल 1997 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद पहली बार उन्होंने रायरंगपुर के नगर पंचायत चुनाव में भाग लिया, जहां उन्हें पार्षद के रूप में चुन लिया गया।
- नगर पार्षद के रूप में कार्य करते हुए बाद में साल 2000 में उन्हें रायरंगपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष के रूप में चुना गया।
- द्रोपदी मुर्मू कुछ समय तक भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुकी है।
- साल 2000 से 2004 तक वे उड़ीसा के रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने विभिन्न मंत्री पदों पर भी कार्य किया।
- मार्च 2000 से अगस्त 2002 तक उन्होंने उड़ीसा में भाजपा और बी. जे. डी. गठबंधन सरकार में स्वतंत्र प्रभार के साथ वाणिज्य और परिवहन राज्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
- इसी सरकार में अगस्त 2002 से मई 2004 तक उन्होंने मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
- साल 2007 में उड़ीसा विधानसभा द्वारा द्रौपदी मुर्मू जी को सर्वश्रेष्ठ विधायक और नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य।

द्रौपदी मुर्मू का झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्यकाल कई मायनों में यादगार रहा। वे झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थी, जिन्होंने झारखंड के नौवें राज्यपाल के रूप में 18 मई 2015 को शपथ ग्रहण की थी। इसके अलावा वे किसी भी भारतीय राज्य के राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण करने वाली पहली महिला आदिवासी नेता भी बनी।
झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य करते हुए 2017 में उन्होंने झारखंड विधानसभा द्वारा अनुमोदित एक विधेयक को अपना अनुमोदन देने से मना कर दिया था जिसमें छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम 1949 में संशोधन की मांग की गई थी।
इस विधेयक के अनुसार आदिवासियों को उनकी भूमि को वाणिज्यिक रूप में उपयोग करने का अधिकार देने की मांग की गई थी। इस संबंध में द्रोपदी मुर्मू ने राज्यपाल के रूप में झारखंड की रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार से यह स्पष्टीकरण मांगा था कि इस विधेयक के पास होने से आदिवासियों की भलाई के लिए क्या उचित बदलाव होंगे।
द्रौपदी मुर्मू का 2022 के राष्ट्रपति पद के लिए अभियान।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद का कार्यकाल जुलाई 2022 में खत्म होने वाला है। जुलाई 2022 में भारत के राष्ट्रपति के लिए होने वाला चुनाव भारत का 15 वां राष्ट्रपति चुनाव होगा। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 56 (1) के तहत भारत के राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्येक 5 वर्ष बाद चुनाव होंगे। सभी राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
2022 में सत्ता में काबिज एनडीए गठबंधन ( NDA ) ने राष्ट्रपति पद के लिए अपने सबसे प्रबल दावेदार के रूप में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को मैदान में उतारा है। जबकि यूपीए गठबंधन ( UPA ) ने भाजपा के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुना। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व ही राष्ट्रपति कार्यालय को भरने के लिए 18 जुलाई 2022 को चुनाव मतदान हुए तथा 21 जुलाई 2022 को परिणाम घोषित किए गए।
द्रोपदी मुर्मू बनी भारत की 15वीं राष्ट्रपति।

द्रोपदी मुर्मू ने भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है। एक टीचर के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली और एक पिछड़ी जनजाति ( संथाल ) से संबंध रखने वाली द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगई।
21 जुलाई 2022 को चुनाव परिणाम घोषित किए गए जिनमें द्रोपदी मुर्मू जी ने 64% वोट प्राप्त करके देश की 15वीं राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया।
यूपीए गठबंधन के राष्ट्रपति उम्मीदवार श्री यशवंत सिन्हा जी को केवल 36% वोट ही मिले। देश की प्रथम नागरिक और सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली वह पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगे।
द्रोपदी मुर्मू से जुड़े कुछ रोचक तथ्य | Interesting Facts Draupadi Murmu
- साल 2016 में द्रोपदी मुर्मू जी ने आधिकारिक तौर पर यह घोषणा की कि वे अपनी मृत्यु के बाद रांची ( झारखंड ) के कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल में अपनी आंखें दान कर देंगी।
- अपने बच्चों व पति की मृत्यु के बाद द्रौपदी मुर्मू जी ने ब्रह्मकुमारी निर्मला जी का अनुसरण करना शुरू कर दिया था ताकि वह अपने अवसाद और दुख को कम कर सके।
- ऊपरबेड़ा के अपने पुश्तैनी घर को उन्होंने एक स्मारक के रूप में निर्मित कर दिया है।
- अपने ससुराल के घर को उन्होंने एक ट्रस्ट के रूप में बदल दिया है जिसका नामकरण उनके बेटों व पति के नाम पर SLS रखा है तथा इस ट्रस्ट को उन्होंने वहां के एक स्कूल को दान में दे दिया है।
दोस्तों ओडिशा के एक छोटे से गांव में पली-बढ़ी द्रोपदी मुर्मू सभी के लिए प्रेरणा का एक स्त्रोत साबित हुई है। जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से वह मुकाम हासिल किया है जिसके बारे में हम शायद सपने में भी नहीं सोच सकते। राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल कई मायनों में खास होने वाला है। वह पहली भारतीय महिला आदिवासी राष्ट्रपति होने के साथ-साथ देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति भी होंगी। इसके पहले श्रीमती प्रतिभा पाटिल जी साल 2005 से 2012 तक देश की पहली महिला राष्ट्रपति रह चुकी हैं।
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