A Short Story in Hindi for Kids | Motivational Hindi Kahani
“चिंता से कभी कुछ हासिल नहीं होता। जब आपको कोई समस्या होती है, तो उस समस्या के समाधान पर ध्यान केंद्रित करना सबसे अच्छा है, समस्या पर नहीं।”
– थॉमस डी. विलहिते
दोस्तों, हर समस्या के पीछे एक अवसर छिपा होता है और जितनी बड़ी समस्या होती है उतना बड़ा ही अवसर होता है। लेकिन हम किसी समस्या के पीछे छिपे अवसर को तभी पहचान पाते हैं जब हम उस समस्या का डटकर सामना करते हैं और उससे पार पा लेते हैं। अवसर को हासिल करने का एक आसान तरीका है पुरुषार्थ यानी मेहनत करना।
जब आप पूरी मेहनत और लगन के साथ समस्या से बिना घबराए आगे बढ़ते रहते हैं, तो अवसर एकदम से आपके सामने आकर खड़ा हो जाता है। इस Short Story in Hindi for Kids में मैं आपको ऐसी ही एक Motivational Hindi Kahani के बारे में बताने जा रहा हूं जिसमें एक किसान ने अपने मार्ग में आई बाधा का डटकर सामना किया और परिणाम स्वरूप उसे जो हासिल हुआ, वो आपको कहानी पढ़ने के बाद ही पता चलेगा।
एक किसान की मोटिवेशनल कहानी | Motivational Hindi Story Of A Farmer

बहुत समय पहले की बात है, एक राज्य में एक बहुत ही प्रतापी और बुद्धिमान राजा राज करता था। उसकी बुद्धिमानी के किस्से दूर-दूर तक फैले हुए थे। आसपास के राज्यों के राजा भी उस से सलाह मशवरा लेते थे। एक बार उस राजा ने सोचा कि क्यों ना यह पता किया जाए कि मेरे राज्य के लोग कितने मेहनती और ईमानदार हैं।
राजा ने अपने सैनिकों से कहकर एक बड़ा सा पत्थर राज्य से शहर की तरफ जाने वाली सड़क पर रखवा दिया। राज्य से शहर जाने का यही एकमात्र रास्ता था। सैकड़ों लोग हर रोज राज्य से शहर और शहर से राज्य की यात्रा करते थे। कोई घोड़ा गाड़ी से, कोई बैलगाड़ी से और कोई पैदल ही।
पत्थर रखवाने के बाद राजा अपने एक मंत्री के साथ दूर झाड़ियों में जाकर छिप गया और यह देखने लगा कि रास्ते के बीच पड़े पत्थर को देखकर राज्य के लोगों की क्या प्रतिक्रिया होती है और वे उसे हटाने की कोशिश करते हैं या नहीं। थोड़ी देर प्रतीक्षा करने के बाद राजा ने देखा कि एक मोटा सा साहूकार अपनी घोड़ा गाड़ी में आया। रास्ते के बीच पड़े पत्थर को देखकर घोड़ा गाड़ी के चालक ने घोड़ा गाड़ी को थोड़ी दूरी पर खड़ा कर कर लिया।
चालक और साहूकार घोड़ा गाड़ी से नीचे उतरे, पत्थर के पास गए और थोड़ी देर तक पत्थर को देखते हुए कुछ सोचते रहे। फिर अपनी घोड़ा गाड़ी में बैठे और राजा को गालियां देते हुए पत्थर की साइड से गाड़ी को निकाल कर वहां से चले गए।
कुछ देर बाद वहां एक पैदल यात्री आया। वह शायद शहर से लौट कर आ रहा था, क्योंकि उसके कंधे पर सामान एक बड़ी सी पोटली रखी थी। उसने भी रास्ते के बीच पड़े पत्थर को देखा और वह भी कुछ बड़बड़ाता हुआ वहां से चला गया। लेकिन उसने भी उस पत्थर को रास्ते से हटाने की जहमत नहीं उठाई।
इसके बाद ऐसे ही कुछ और लोग भी आए जिनमें से कुछ शहर की तरफ जाने वाले थे और कुछ शहर से लौट कर आने वाले थे। कुछ अपनी घोड़ा गाड़ी में, कुछ बैलगाड़ी में और कुछ पैदल यात्री भी आए। वे रास्ते के बीच पड़े पत्थर को देखते, राजा को लापरवाह, बेईमान, धोखेबाज होने की गालियां देते और पत्थर के साइड से निकलकर चले जाते। लेकिन उसे हटाने की कोई कोशिश नहीं करता।
राजा यह सब देख कर थक चुका था। शाम होने वाली थी राजा और उसका मंत्री पास ही के पेड़ के नीचे जाकर बैठ गए और थोड़ा जलपान किया। तभी उन्होंने दूर से आती घंटियों की टन टन की आवाज सुनी। यह आवाज एक बैलगाड़ी में जूते बैलों के गले में बंधी घंटियों से आ रही थी। जैसे-जैसे बैलगाड़ी नजदीक आ रही थी घंटियों की आवाज भी तेज हो रही थी।
यह सुनकर राजा और उसका मंत्री उस पेड़ के पीछे जाकर छुप गए जिसके नीचे बैठकर उन्होंने जलपान किया था। जब बैलगाड़ी पास आई तो राजा और उसके मंत्री ने देखा कि एक किसान एक टूटी सी बैलगाड़ी में खाद, बीज और घर के लिए आवश्यक सामान लादे राज्य की तरफ जा रहा था। जब उस किसान ने उस पत्थर को देखा तो उसने अपनी बैलगाड़ी उस पत्थर से कुछ दूरी पर खड़ी कर ली और उतर कर उस पत्थर के पास गया और वहां खड़ा होकर कुछ सोचने लगा।
कुछ देर सोचने के बाद वह नीचे की तरफ झुका और उस पत्थर को हटाने की कोशिश करने लगा। पूरी ताकत लगाने के बाद भी वह किसान उस पत्थर को टस से मस ना कर सका। उस किसान ने सोचा कि इस पत्थर को उठाकर हटाना मुमकिन नहीं है। इसलिए उसने पत्थर को धक्का देकर लुढ़काना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे करके वह पत्थर को लुढ़का कर रास्ते के किनारे पर ले आया। अब रास्ता बिल्कुल साफ था और रास्ते से आने जाने वालों को कोई असुविधा नहीं होती।
पत्थर को हटाने के बाद वह किसान जैसे ही अपनी बैलगाड़ी की तरफ जा रहा था तो उसने देखा कि एक कपड़े की पोटली उसी स्थान पर पड़ी हुई है जहां से उसने पत्थर को हटाया था। किसान ने उस पोटली को उठाया और उसे खोल कर देखा। किसान यह देखकर हैरान रह गया कि वह पोटली सोने के सिक्कों से भरी हुई थी। सोने के सिक्कों से भरी पोटली को देखकर किसान पहले तो बहुत खुश हुआ। लेकिन बाद में उसने सोचा कि शायद किसी बड़े साहूकार की सोने से भरी पोटली रास्ते में गिर गई होगी और उसे लौटाना चाहिये। नहीं तो वह साहूकार बहुत दुखी होगा।
जब वह किसान यह सब सोच विचार कर ही रहा था कि राजा और उसका मंत्री उस किसान के पास आ गए। राजा को अचानक देखकर किसान एकदम से चौंक गया। लेकिन जब मंत्री ने किसान को पूरी बात बताई तो वह शांत हो गया। राजा ने कहा कि यह सोने की पोटली तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी का इनाम है और हमने ही इसे इस पत्थर के नीचे रखवाया था।किसान को देखकर राजा ने कहा कि काश! राज्य का हर व्यक्ति तुम्हारी तरह मेहनती और ईमानदार होता।
सोने के सिक्कों से भरी पोटली पाकर किसान बहुत खुश हुआ और अपनी बैलगाड़ी में बैठकर राज्य की तरफ चल पड़ा।
इस Short Story in Hindi for Kids से आप क्या सीख सकते हैं?
शिक्षा -: दोस्तों, समस्याएं हमारे सभी के जीवन में है। लेकिन जब तक हम अपनी समस्याओं का रोना रोते रहेंगे और उनका समाधान नहीं करेंगे तब तक समस्याएं हमारे जीवन में स्थाई रहेंगी। लेकिन जब हम उस समस्या का डटकर सामना करते हैं तो ना केवल हम उस समस्या से छुटकारा पा लेते हैं बल्कि उसके पीछे छिपे अवसर को भी पहचान लेते हैं।
जीवन में हमारे सामने आने वाली हर समस्या हमें अपनी परिस्थितियों को सुधारने का अवसर देती है। कुछ लोग जो आलसी होते हैं, वे केवल शिकायतें करते ही रह जाते हैं। जबकि कुछ जो मेहनती और साहसी होते हैं वे काम करने की इच्छा और लगन के बल पर उस समस्या का सामना करके अवसर का लाभ उठा लेते हैं।
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