Long Story In Hindi With Moral | Hindi Motivational Kahani
“जो खुद को एक बार झूठ बोलने की अनुमति देता है,
उसे दूसरी बार करना आसान लगता है।”
— थॉमस जेफरसन
वास्तविक जीवन पर आधारित यह Motivational Kahani In Hindi आपके जीवन व सोचने के नजरिये को बदल सकती है। आप एक महिला है या पुरुष, यह Hindi Motivational Kahani आपके लिए एक Life Changing Kahani साबित हो सकती है।
आपको इस ‘Long Story In Hindi With Moral’ से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और आप अपनी जिन्दगी के प्रति Motivate व inspire हो जाओगे।
एक बेईमान साहूकार और बुद्धिमान लड़की की मोटिवेशनल कहानी।

बहुत समय पहले इटली के एक छोटे से गांव में कपड़ों का एक व्यापारी रहता था। पिछले दो दशक से उसका व्यापार बहुत तेजी से फल फूल रहा था। लेकिन अभी हाल के कुछ सालों से अचानक से उसके द्वारा बनाए गए कपड़ों की मांग में गिरावट आ गई थी। जिसकी वज़ह से उसको काफी नुकसान हो चुका था।
अपने नुकसान की भरपाई के लिए उसने एक बड़े साहूकार से कर्ज लिया और पूरा पैसा अपने व्यवसाय में लगा दिया, इस उम्मीद में की दोबारा से उसका व्यवसाय रफ़्तार पकड़े और दोबारा से वही पुराने दिन लौट आए। लेकिन उसके बाद भी उसका व्यवसाय नहीं चल पाया और उसका नुकसान लगातार बढ़ता गया और एक समय ऐसा आ गया कि वह पूरी तरह से दिवालिया हो गया।
उसने जिस साहूकार से कर्ज लिया था, वह अपने पैसे लौटाने के लिए बार-बार उस व्यापारी पर दबाव बना रहा था, लेकिन वह व्यापारी उस साहूकार से लिए गए कर्ज को चुकाने में असमर्थ था। वह साहूकार बहुत ही लालची और बेईमान किस्म का व्यक्ति था और देखने में भी बहुत ही भद्दा और उम्र दराज लगता था।
उस व्यापारी की एक बेटी थी, जो बहुत सुंदर थी और उसकी उम्र भी शादी लायक हो चुकी थी। एक बार जब वह साहूकार अपने पैसे मांगने के लिए उस व्यापारी के घर गया हुआ था तो अचानक से उसकी नजर उस व्यापारी की बेटी पर पड़ी। व्यापारी की बेटी उस साहूकार को इतनी सुंदर लगी कि उसने उस लड़की से शादी करने का मन बना लिया।
साहूकार ने उस व्यापारी के सामने एक शर्त रखी कि अगर वह उसकी बेटी की शादी उससे कर देता है तो वह उसका सारा कर्ज माफ कर देगा। उसके इस प्रस्ताव को बड़ी घृणा की दृष्टि से देखा गया और उस व्यापारी ने उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। वह साहूकार शर्मिंदा होकर वहां से चला गया।
लेकिन जब से उसने व्यापारी की बेटी को देखा था, वह बेचैन सा हो गया था। वह हर हाल में उससे शादी करना चाहता था। एक सुबह जब वह बरामदे में बैठा चाय पी रहा था तो उसके दिमाग में एक तरकीब आई, जिसके जरिए वह उस व्यापारी की बेटी से शादी कर सकता था।
वह भागता हुआ उस व्यापारी के पास गया और उसने उस व्यापारी से कहा कि ” देखो ! मैं तुम्हें तुम्हारी बेटी की शादी मेरे साथ करने के लिए मजबूर नहीं करूंगा। लेकिन तुम्हारे पास यह मौका है कि मैं तुम्हारा सारा कर्ज माफ कर दूं। अगर तुम्हें मेरा है प्रस्ताव पसंद आए तो तुम हां कर सकते हो।
मैं चाहता हूं कि पूरे गांव के सामने मैं एक छोटे से कपड़े के थैले में दो पत्थर डालूं, जिसमें से एक पत्थर काले रंग का होगा और दूसरा सफेद रंग का। उसके बाद तुम्हारी बेटी से उस थैले में से बिना देखे एक पत्थर निकालने के लिए कहा जाएगा। अगर उसने सफ़ेद पत्थर निकाला तो तुम्हारा पूरा कर्ज माफ कर दिया जाएगा और तुम्हें अपनी बेटी की शादी मेरे साथ करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
लेकिन अगर उसने काला पत्थर निकाला तो तुम्हारा कर्ज तो माफ हो जाएगा लेकिन तुम्हें अपनी बेटी की शादी मेरे साथ करनी पड़ेगी। अगर तुम्हें मेरा यह प्रस्ताव पसंद आता है तो इस पर सोच विचार कर तू मुझे बता सकते हैं।”
यह बात कह कर वह साहूकार अपने घर चला गया। उन दोनों की यह सारी बातें उस व्यापारी की बेटी भी सुन रही थी। उसने सोचा कि चाहे सफेद पत्थर निकले या काला पत्थर निकले उसके पिता के सिर पर जो कर्ज है वह तो दूर होगा ही। इसलिए उसने अपनी परवाह किए बिना अपने पिता को साहूकार का प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए मना लिया।
अगले दिन पूरा गांव उस व्यापारी के घर के सामने इकट्ठा हो गया। जैसा कि उस साहूकार ने कहा था, उसने झुककर वहीं बगीचे से दो पत्थर उठाएं और एक थैले में डाल दिए। लेकिन उस व्यापारी की लड़की उसको ध्यान से देख रही थी। उसने देखा कि साहूकार ने दोनों काले पत्थर उठाकर उस थैले में रखे हैं। लेकिन वह चुप रही, क्योंकि वह चाहती थी कि उसके पिता के सिर से सारा कर्ज़ उतर जाए और अगर वह कुछ बोलती तो वह साहूकार अपने प्रस्ताव से मुकर जाता।
अब उस व्यापारी की बेटी को उन दो पत्थरों में से एक पत्थर चुनने के लिए कहा गया। स्वाभाविक रूप से उस लड़की के पास केवल दो ही विकल्प थे।
पहला -: “यह कि वह चुपचाप से एक पत्थर निकालती, जोकि निश्चित ही काले रंग का होता और उस साहूकार से शादी कर लेती।”
दूसरा -: “यह कि दोनों पत्रों को निकालकर उस साहूकार की बेईमानी और धोखेबाजी के बारे में बताती। जिसके बाद साहूकार अपने प्रस्ताव से मुकर जाता और उसके पिता का कर्ज माफ नहीं करता।”
लेकिन उस लड़की ने दोनों विकल्पों में से किसी को भी नहीं चुना। क्योंकि दोनों ही विकल्पों में उसी का नुकसान होता। उसने कुछ दिमाग लगाया और उसे एक तरकीब मिल गई, जिसकी वजह से वह उस साहूकार के जाल से बच सकती थी।
उसने उस थैले में हाथ डाला और उसमें से एक पत्थर निकाल लिया। वह पत्थर किसी को दिखाने से पहले ही उसने ऐसा नाटक किया कि वह पत्थर उसके हाथ से छूट गया और वहां पड़े बाकी पत्थरों में जाकर मिल गया।
जिसकी वजह से वहां पर किसी को पता ही नहीं चला कि वह पत्थर किस रंग का था,जोकि निश्चित ही काले रंग का था। लेकिन उस लड़की और साहूकार के अलावा इस बात को तीसरा कोई नहीं जानता था।
उस पत्थर को नीचे गिराने के बाद लड़की ने थोड़ा नाटक और करते हुए कहा कि “अरे! मैं भी कितनी अनाड़ी लड़की हूं। जो मैंने पत्थर को नीचे गिरा दिया। अब कैसे पता चलेगा कि मेरे द्वारा निकाला गया पत्थर कैसे रंग का था।”
यह देखकर सभी हैरान रह गए, लेकिन थोड़ी देर सोचने के बाद उस व्यापारी की लड़की ने कहा कि “मेरे पास एक तरकीब है। यदि हम उस थैले में पड़े दूसरे पत्थर को निकाल कर देख ले तो हमें यह पता चल जाएगा कि पहला पत्थर किस रंग का था। इसलिए उस थैले से दूसरे पत्थर को निकाला गया। जिसका रंग काला था। तो सभी ने यह माना कि काला पत्थर तो इस थैले में ही है। इसका मतलब जो पत्थर लड़की के हाथ से गिरा वह सफेद था।
उस साहूकार के प्रस्ताव के अनुसार अगर उस थैले से व्यापारी की बेटी द्वारा सफेद पत्थर निकाला जाता तो वह उस लड़की के पिता का सारा कर्ज माफ कर देता और उस लड़की से शादी भी नहीं करता। उस साहूकार को अपने द्वारा किए गए वादे को निभाना पड़ा।
इस तरह से उस लड़की ने अपनी सूझबूझ से अपने पिता को कर्ज से मुक्ति दिलवाई और वह खुद भी उस बेईमान साहूकार से शादी करने से बच गई।
इस Long Story In Hindi With Moral से आप क्या सीखते हैं?
शिक्षा -: कभी-कभी हमें अपनी समस्या को हल करने के लिए कुछ निश्चित विकल्प ही नजर आते हैं लेकिन अगर हम भी इस कहानी से सीख ले तो हमें भी अपनी समस्याओं के लिए ऐसे समाधान मिल सकते हैं, जिन्हे अपना कर न केवल हम अपनी समस्याओं का बेहतर समाधान कर सकते, बल्कि अपनी समस्याओं को अवसरों में भी बदल सकते है।
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