Hindi Story For Kids With Moral

Hindi Story For Kids With Moral

“अपना समय क्रोध, पछतावा, चिंता और व्याकुलता में बर्बाद न करें। जीवन दुखी होने के लिए बहुत छोटा है।”

― Roy T. Bennett

वास्तविक जीवन पर आधारित यह Hindi Story For Kids With Moral आपके जीवन व सोचने के नजरिये को बदल सकती है। आप एक महिला है या पुरुष, यह Hindi Story आपके लिए एक Life Changing Story साबित हो सकती है।

आपको इस Hindi Motivational Story से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और आप अपनी जिन्दगी के प्रति Motivate व Inspire हो जाओगे।

एक गुस्सैल बच्चे राजू की प्रेरणादायक हिंदी कहानी।

राजू बहुत ही गुस्सैल और चिड़चिडे स्वभाव का लड़का था।  वह छोटी-छोटी बातों पर ही गुस्से में आपे से बाहर हो जाता था। उसके इस गुस्सैल स्वभाव से सभी परेशान थे। वह गुस्से में किसी को भी उल्टा सीधा बोल देता था। यहां तक कि उसके माता-पिता भी उसको कई बार इस बात के लिए समझा चुके थे कि गुस्सा करना गलत बात है और गुस्से में कई बार हम अपना खुद का ही नुकसान कर बैठते हैं। लेकिन राजू उनकी बातों पर कभी ध्यान ही नहीं देता था।

एक बार राजू के पिता उसके लिए एक वीडियो गेम लेकर आए। राजू वीडियो गेम पाकर बहुत खुश हुआ। अब क्या था राजू पूरा-पूरा दिन वीडियो गेम खेलने में ही लगा रहता था। वह ना तो ढंग से खाना खाता था और ना ही ढंग से पढ़ता था। स्कूल से आते ही वह अपना बैग रखता और अपने वीडियो गेम में गेम खेलने लगता। 

एक बार जब राजू के पिता किसी काम में व्यस्त थे तो उन्होंने राजू को आवाज लगाई। लेकिन राजू ने उनकी बात को अनसुना कर दिया। दो तीन बार आवाज देने पर भी जब राजू ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया, तो राजू के पिता ने देखा कि राजू अपना वीडियो गेम खेलने में व्यस्त है। इस बात के लिए राजू के पिता ने राजू को बहुत डांट लगाई। गुस्से में आकर राजू ने वीडियो गेम फेंक दिया और अपने कमरे में चला गया। उसने रात को खाना भी नहीं खाया।

उस रात राजू के पिता ने महसूस किया कि उसका यह व्यवहार आगे जाकर उसके खुद के लिए बहुत बड़ी परेशानी बन सकता है। अगर अभी से उसके इस व्यवहार को नहीं बदला गया तो फिर बहुत देर हो जाएगी। अगले दिन राजू के पिता एक हथोड़ा और एक थैला लेकर आए, जो कि किलो से भरा हुआ था।

उन्होंने राजू को अपने पास बुलाया और कहा कि “देखो राजू तुम्हारे इस गुस्सैल स्वभाव से सभी परेशान है। अगर तुमने अपना यह व्यवहार नहीं बदला तो तुम्हें आगे जाकर पछताना पड़ सकता है।”

शाम वाली घटना के बाद राजू ने भी थोड़ा महसूस किया कि छोटी-छोटी बातों पर उसका गुस्सा करना सही नहीं है। वह भी शायद अब अपने आप को बदलना चाहता था। उसने अपने पिता से कहा कि “पापा ! मैं चाह कर भी अपनी इस आदत पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा हूं। “ राजू के पिता ने कहा कि देखो राजू अगर तुम मेरा साथ दो तो मैं तुम्हारी  इस आदत को बदल सकता हूं। लेकिन तुम्हें धैर्य रखना पड़ेगा।

राजू ने इस बात के लिए हां कर दी। फिर क्या था राजू के पिता ने राजू को वह हथोड़ा और किलो से भरा थैला देते हुए कहा कि “आगे से जब भी तुम्हें गुस्सा आए तो तुम सामने वाली लकड़ी की दीवार में एक कील ठोक देना। राजू ने वह हथौड़ा और किलो से भरा थैला ले लिया। 

पहले ही दिन राजू ने लकड़ी की दीवार में 27 किलें ठोकी, दूसरे दिन 22 और तीसरे दिन 19 । इन 3 दिनों में राजू ने महसूस किया कि कील ठोकने से ज्यादा आसान अपने गुस्से को नियंत्रित करना है। वह धीरे-धीरे अपने गुस्से पर नियंत्रण करना सीख रहा था और एक दिन ऐसा भी आया कि उसने दीवार में एक भी कील नहीं ठोंकी। जब राजू ने यह बात अपने पिता को बताई तो वह बहुत खुश हुए। राजू के पिता ने राजू से कहा कि अब तुम्हें एक काम और करना है। अब तुम्हें एक-एक करके सारी किले दीवार से निकालनी है। 

दो दिन की कड़ी मेहनत के बाद राजू ने सारी कीलें दीवार से निकाल दी। राजू के पिता ने राजू को वह दीवार दिखाते हुए कहा कि “देखो राजू ! किले ठोकने से पहले दीवार ऐसी नहीं थी। पहले यह दीवार साफ-सुथरी थी, लेकिन अब इसमें जगह-जगह छेद हो गए हैं। जिनको अब कभी भी नहीं भरा जा सकता। जब हम गुस्से में आकर किसी दूसरे व्यक्ति को कुछ ऐसी बात कह देते हैं जो उसके दिल को ठेस पहुँचाती है तो वह बात भी उस व्यक्ति के दिल पर इसी तरह के निशान छोड़ देती है। उसके बाद आप कितनी बार भी सॉरी बोलें और माफी मांग ले। लेकिन वे निशान बने रहते है और जिन्दगी भर नहीं मिटते। “

शायद अब राजू को बात पूरी तरह से समझ आ गई थी। उसने अपने पिता से कहा कि “पापा मैं अनजाने में बहुत बड़ी गलती कर रहा था। लेकिन मैं आपसे यह वादा करता हूं कि अब आगे से यह गलती नहीं करूंगा। राजू के पिता ने राजू को प्यार से गले लगा लिया।

इस Hindi Story For Kids With Moral से आपने क्या सीखा?

शिक्षा -: हम कई बार गुस्से में आकर अपने परिवार, दोस्तों या रिश्तेदारों को ऐसी बात बोल देते हैं जो उनके मन को ठेस पहुंचाती है। इसके बाद हम कितनी बार भी अपनी गलती के लिए माफी मांग ले लेकिन उस बात के निशान उनके दिल पर हमेशा बने रहते हैं। इसलिए अपने गुस्से पर नियंत्रण रखें और गुस्से में कभी भी किसी को ऐसा कुछ न कहें, जिसकी वजह से आपको बाद में पछताना पड़े। जीवन में कुछ ऐसी चीजें भी होती हैं जिनको फिर से वापिस  पाना लगभग असंभव होता है।

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